रांचीः साहिबगंज में पाइपलाइन योजना पूरी करने के लिए 210 दिनों का समय मांगे जाने पर हाईकोर्ट ने लगाई सचिव को फटकार
रांचीः साहिबगंज में पाइपलाइन योजना पूरी नहीं होने और इसके लिए और 210 दिनों का समय मांगने पर सोमवार को हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जतायी और जल संसाधन विभाग के सचिव मनोज कुमार को फटकार लगायी। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने कहा कि सरकार शपथपत्र के माध्यम से आम लोगों और कोर्ट के साथ छलावा कर रही है। हर बार शपथपत्र में गलत जानकारी दी जा रही है। सरकार दिन रात एक कर साहिबगंज के लोगो को जल्द पानी उपलब्ध कराए, साथ ही 210 दिनों का समय देने के सरकार के आग्रह को खारिज भी कर दिया।
अदालत ने मौखिक कहा कि साहिबगंज के लोगों को पानी दिलाने के लिए इस जनहित याचिका पर 16 साल से सुनवाई चल रही है। वर्ष 2016 में यह जनहित याचिका साहिबगंज में लोगों को पानी पहुंचाने के सरकार के आश्वासन के बाद निष्पादित कर दी गई थी। इसके बावजूद साहिबगंज के लोगों को पानी नहीं मिलने पर दो साल बाद फिर से दूसरी जनहित याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई। इसमें भी राज्य सरकार की ओर से जून 2024 के शपथ पत्र में साहिबगंज के छह वार्ड में 10 दिन के भीतर जलापूर्ति करने की बात कही गई थी, लेकिन इसे भी पूरा नहीं किया गया।
अदालत ने कहा की राज्य सरकार का शपथ पत्र आईवाश है। सरकार शपथ पत्र में कही गई बातें बार-बार बदलती है और गलत दावा किया जाता है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में भी पेयजल स्वच्छता विभाग के सचिव को सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए उनसे गलत शपथ पत्र दायर करने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने उनसे यह भी पूछा है कि साहिबगंज के लोगों को कब तक पानी उपलब्ध करा दिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक कहा कि साहिबगंज के लोगों को 16 सालों से सरकार से पानी के नाम पर आश्वासन ही मिला है। पानी लोगों की मौलिक जरूरत होती है, झारखंड के ग्रामीण इलाक के साहिबगंज जिले में पानी के लिए लोगों को जूझना पड़ रहा है। ऐसे में झारखंड के विकास की बात कैसे सोची जा सकती है। प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा एवं अधिवक्ता ओम प्रकाश ने पक्ष रखा। इस संबंध में सिद्धेश्वर मंडल ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि साहिबगंज में अभी तक शहरी जलापूर्ति योजना का काम पूरा नहीं हुआ है। सरकार ने जो दावा किया था उसे पूरा नहीं किया गया है। इस कारण दोबारा जनहित याचिका दायर करनी पड़ी है।