Ranchi: Plot allotment Case झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस केपी देव की अदालत में आवास बोर्ड की ओर से एक ही प्लाट दो लोगों को आवंटित करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि दस साल पहले इस मामले में अदालत ने प्रार्थी को दूसरा प्लाट आवंटित करने का आदेश दिया था। लेकिन अभी तक उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।
इसके बाद अदालत ने आवास बोर्ड के लॉ ऑफिसर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई और निलंबित करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि फरवरी 2021 में आवास बोर्ड को इस मामले में कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने को कहा था लेकिन इसका बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया।
ऐसे में अदालत लॉ ऑफिसर के उदासीन व्यवहार को देखते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने और निलंबित करने का आदेश देती है। इस दौरान अदालत ने आवास बोर्ड की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की है।अदालत ने कहा कि यहां पर लोग कई सालों से लोग यहां पर जमे हुए हैं। सरकार का कोई मैकनिज्म ठीक से काम नहीं कर रहा है। ऐसे लोगों को दूसरे विभागों में भेज देना चाहिए।
इसे भी पढ़ेंः Lawyer murder case: अभियुक्त की ओर से याचिका दाखिल करने पर रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने किया जोरदार विरोध
इसको लेकर धनंजय कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। पूर्व में सुनवाई के दौरान उनकी ओर से बताया गया कि 15 अप्रैल 2004 में उन्हें प्लाट आवंटित किया गया, लेकिन बाद उसे रद कर दिया गया। जब उन्होंने इसकी वजह से लिए आवास बोर्ड से संपर्क किया तो पता चला कि यह प्लाट वर्ष 2003 में ही दूसरे को आवंटित किया गया और वह उन्हीं के कब्जे में है।
प्रार्थी की ओर से कहा गया कि अगर आवास बोर्ड की ओर से उन्हें दूसरा प्लाट आवंटित कर दिया जाता है, तो वह अपनी याचिका को वापस ले लेगा। इसके बाद कोर्ट ने बोर्ड को दूसरा प्लाट आवंटित करने का आदेश दिया। लेकिन दस साल बीतने के बाद भी कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया।