झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय और दीपक रौशन की खंडपीठ ने देवघर के परित्राण ट्रस्ट के मेडिकल कालेज सहित अन्य संपत्ति की नीलामी के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है।
अदालत ने उक्त याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आठ फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी। इस संबंध में परित्राण ट्रस्ट की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
परित्राण ट्रस्ट की संपत्ति का कम आंकलन
सुनवाई के दौरान कहा गया था कि देवघर के परित्राण ट्रस्ट की संपूर्ण संपत्ति की कीमत काफी अधिक है, लेकिन बैंक रिकवरी अधिकारी ने संपूर्ण संपत्ति को मात्र 60 करोड़ में ही नीलाम कर दिया है।
नीलामी के आदेश पर रोक लगाई जाए। सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और पीएएस पति ने अदालत को बताया कि उक्त याचिका हाई कोर्ट में सुनवाई योग्य नहीं है।
उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों हवाला देते हुए कहा कि हाई कोर्ट में याचिका पोषणीय नहीं है। बैंक लोन चुकाने के लिए वादी को कई मौके दिए गए।
उन्होंने 175 करोड़ के बैंक के बकाया का भुगतान नहीं किया। वादी को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की बजाय रिकवरी बैंक एक्ट एवं अन्य प्रविधानों के अनुसार डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहिए।
नियमानुसार जब इस मामले में डीआरटी के रिकवरी आफिसर की ओर से आदेश पारित किया जाता, तब उसके आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की जा सकती है।
उनकी ओर से सीधे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की जा सकती है। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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