New Delhi: Pegasus Espionage Case केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाएं अटकलों, अनुमानों और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं तथा विशेषज्ञों का एक समूह उठाए गए सभी मुद्दों की जांच करेगा।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही कथित पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद में उसका रुख स्पष्ट कर चुके हैं।
हलफनामे में कहा गया कि उक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं।
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हलफनामे में कहा गया कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी गलत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा। सोमवार को आंशिक सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह दिन के अंत में इसे देखेगी।
अदालत ने 10 अगस्त को कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर जासूसी मुद्दे पर समानांतर कार्यवाही और बहस को अपवादस्वरूप लेते हुए कहा था कि अनुशासन कायम रखा जाना चाहिए और याचिकाकर्ताओं को व्यवस्था में थोड़ा भरोसा होना चाहिए।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि यह एक बेहद तकनीकी मुद्दा है, हम सभी पहलुओं की जांच के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाने की तैयारी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चयन समितियों की सिफारिशों के बावजूद ट्रिब्यूनल में नियुक्ति करने के लिए केंद्र को 10 दिनों का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि दस दिन के भीतर सरकार इस दिशा में कितना आगे बढ़ी है, उसकी स्टेट्स रिपोर्ट सौंपे।