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नए आपराधिक कानूनों में बदलाव की जानकारी के लिए सेमिनार की जरूरत, जिला बार संघों को भेजा पत्र- New Law in India

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New Law in India: झारखण्ड स्टेट बार कौंसिल के वाइस चेयरमैन व अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने कहा है कि भारत के आपराधिक कानूनों में 1 जुलाई 24 से भारत सरकार बदलाव कर रही है जो एतिहासिक कदम है। इस बदलाव में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की शुरुआत होंगी जो मौजूदा भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।

शुक्ल ने कहा है कि झारखंड स्टेट बार कौंसिल की तरफ से सभी जिला और अनुमंडल बार एसोसिएशनो से इन नए कानूनों की व्यापक जानकारी के लिए सेमिनार और संगोष्ठियों के आयोजन के लिए पूर्व मे ही निर्देश दिया जा चुका है।

न्याय संहिता में 358 धाराएं

शुक्ल ने कहा कि आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता मे 358 धाराएं है जो मौजूदा 511 से कम होंगी, लेकिन इसमे 20 नए अपराध शामिल होंगे। 33 अपराधो के लिए दंड बढाए गए है, 83 अपराधो के लिए जुर्माना बढाए गए है और 23 अपराधो के लिए अनिवार्य न्यूनतम दंड की शुरुआत की गई है। इसके अलावे 6 अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा दंड संहिता स्थपित किए गए है और 19 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है।

शुक्ल ने कहा कि भारत सरकार भारत के विधि आयोग की अनुशंसा पर संशोधित कानून लागू कर रही है जिसका व्यापक स्तर पर स्वागत हो रहा है। नए संशोधित कानूनों के बृहद अधययन के बाद यह पता चल रहा है कि भारतीय सुरक्षा संहिता जो सीआरपीसी का स्थान लेंगी, में अब 484 की तुलना मे 531 धाराएं होंगी। इस संशोधित संहिता मे 177 परिवर्तित प्रावधान शामिल किए गए है, जिनमे 9 नई धाराए और 39 नई उपधारा शामिल है एवं प्रक्रियात्मक दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से 44 नए प्रावधान और उनकी पूर्ण व्याख्या भी इसमें शामिल है।

शुक्ल ने कहा कि 1 जुलाई 24 से लागू होने वाले नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम मे 167 से बढ़कर 170 प्रावधानों तक विस्तारित किया गया है जिसमें 2 नए प्रावधान और 6 उप प्रावधान शामिल किए गए है। जबकि 6 को निरस्त किया गया है। इस अधिनियम का मूल उददेश्य साक्ष्य प्रबंधन को आधुनिक बनाना है और विशेष रूप से न्यायिक प्रक्रिया मे पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए 35 विभिन्न संदर्भो में आडियो, विडियो को शामिल करने का प्रावधान है।

सभी बार संघ को लिखा पत्र

शुक्ल ने राज्य के सभी बार एसोसिएशनो को एक परिपत्र जारी कर इन नए कानूनो पर व्यापक रूप से सेमिनार और संगोष्ठियों का आयोजन हर स्तर पर कराने का अनुरोध किया था ताकि नए अधिवक्ताओं में नए कानूनों की व्यापक जानकारी और दक्षता तथा कौशल विकास हो। राज्य के कई बार एसोसिएशन ने अपने अपने यहा इसकी शुरुआत करा दी है। राज्य स्तर पर भी इसको बृहद रूप से आयोजित करने की तैयारी चल रही है।

शुक्ल ने कहा कि झारखंड स्टेट बार कौंसिल की तरफ से भी विभिन्न जिलो और अनुमंडलों में उनके अनुरोध पर न्यायधीश गण और कौंसिल के सदस्यों को व्याख्यान के लिए भेजने की योजना है। कई जिलो मे झारखंड स्टेट बार कौंसिल के चेयरमैन राजेन्द्र कृष्णा, वाइस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ल तथा बार कौंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य प्रशांत कुमार सिंह स्वयं व्याख्यान देने और संगोष्टी मे विचार प्रकट करने और नए कानूनो पर विस्तृत चर्चा मे भाग लेंने जाएंगे। शुक्ल ने कहा है कि कई जिलों से इस आशय का प्रस्ताव भी प्राप्त हुआ है। जिस पर निर्णय कौंसिल की सेमिनार समिति लेंगी।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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