New Delhi: रिजर्व बैंक (RBI) के बड़े डिफॉल्टर्स की जानकारी सूचना के अधिकार (RIT) के जरिये देने के निर्देश के विरोध में एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक समेत कई बैंक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। निजी बैंकों का कहना है कि उन पर आरटीआई कानून लागू नहीं होता है।
केंद्रीय बैंक ने बैंकों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत बड़े डिफॉल्टर्स और वित्तीय रूप से संवेदनशील डाटा की जानकारी साझा करने का निर्देश दिया था, जिसका ये बैंक विरोध कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आरटीआई के तहत निरीक्षण रिपोर्ट का खुलासा किया जा सकता है। अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।
एसबीआई और एचडीएफसी बैंक ने इस साल जून में शीर्ष कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में आरबीआई के उस निर्देश पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें आरटीआई के तहत वित्तीय रूप से संवेदनशील डाटा जारी करने को कहा गया था। बैंकों ने कहा था कि ऐसा करने में उनका कारोबार प्रभावित होगा और ग्राहकों की जानकारी के साथ समझौता होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के निर्देश पर तत्काल प्रभाव से अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था।
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मुकुल रोहतगी ने एचडीएफसी बैंक की ओर कहा कि आरटीआई कानून केवल सरकारी दफ्तरों पर लागू होता है, निजी बैंक इसके दायरे में नहीं आते हैं। टाटा और बिड़ला समूह इलेक्ट्रिक कार परियोजना के लिए पूंजी की तलाश में हैं, इसकी जानकारी साझा करना गलत होगा। आरबीआई के निरीक्षण रिपोर्ट की आड़ में तथाकथित कार्यकर्ता निजी बैंकों के ग्राहकों की जानकारी मांग रहे हैं। एक आम आदमी को निरीक्षण रिपोर्ट से क्या मतलब है?
एसबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोगों ने आरटीआई कानून को कारोबार बना लिया है। जस्टिस कलिफुल्ला की अगुवाई वाली बेंच ने डिफॉल्टर्स की निजी जानकारी मांगी है। शीर्ष कोर्ट को चाहिए कि इस मामले को तीन जजों की बेंच को रेफर कर दे। आदेश के खिलाफ अवमानना वाली याचिका पर सुनवाई न हो। ग्राहक बैंक पर भरोसा करते हैं। इस निर्देश को मानकर उनके विश्वास को कैसे तोड़ सकते हैं?
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने इस मामले में जुलाई, 2021 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने इनकी याचिका खारिज कर दी थी। दोनों बैंक ने डिफॉल्टरों की सूची और निरीक्षण रिपोर्ट आदि से जुड़ी जानकारी का खुलासा करने के लिए आरबीआई के नोटिस पर रोक लगाने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले आरबीआई को ऐसी जानकारी साझा करने से रोक दिया था। हालांकि, बाद में कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया। शीर्ष कोर्ट ने कानूनी आधार पर जयंतीलाल एन. मिस्त्री मामले में 2015 के अपने आदेश के रिव्यू से इनकार कर दिया। इसमें कहा गया था कि आरबीआई को पारदर्शिता कानून के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बारे में जानकारी प्रदान करनी होगी।