दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है। वह 530 दिनों बाद जेल से बाहर निकले हैं। सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को ईडी ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तब से वह जेल में ही थे। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग और भ्रष्टाचार केस में शुक्रवार को जमानत प्रदान की। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने सिसोदिया को 10 लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी है। बेंच ने कहा अपील स्वीकार की जाती है। उन्हें ईडी और सीबीआई दोनों केसों में जमानत दी जाती है। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया स्पीडी ट्रायल के अधिकार से वंचित हैं।
जब कोर्ट राज्य या एजेंसियों स्पीडी ट्रायल के अधिकार की रक्षा नहीं कर सकती है तो जमानत का यह कहकर विरोध नहीं किया जा सकता है कि अपराध गंभीर है। अपराध की प्रकृति कैसी भी हो आर्टिकल 21 लागू होती है। कोर्ट ने कहा कि सोसिदिया की जड़ें समाज में गहरी जुड़ी हैं और वह भाग नहीं सकते हैं। सबूत जब्त किए जा चुके हैं। इसलिए उससे छेड़छाड़ की संभावना नहीं है। कोर्ट ने जांच एजेंसियों की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि ट्रायल में देरी की वजह खुद मनीष सोसिदिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल में देरी के मामलों में निचली अदालतों को उदारता से जमानत पर विचार करना चाहिए। बता दें कि सिसोदिया को वित्त वर्ष 2021-22 में बनी शराब नीति में घोटाले का आरोप है। उस समय वह आबकारी मंत्री भी थे। आरोप है कि शराब कारोबारियों को अधिक फायदा पहुंचाया गया और बदले में रिश्वत ली गई।