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गुंडों का गैंग हैं ऋण वसूली संस्थाएं : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बैंक लोन रिकवरी फर्म को ‘गुंडों का गैंग’ बताया और पुलिस को आरोपी के खिलाफ संबंधित अदालत में आरोपपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने रिकवरी एजेंट द्वारा ऋण वसूली के लिए प्रताड़ित किए गए व्यक्ति को मुआवजा भी देने का आदेश दिया है।

कोलकाता निवासी देवाशीष बी. रॉय चौधरी ने बैंक आफ इंडिया से 15 लाख से अधिक रुपये बस खरीदने के लिए लोन लिया था, जिसे दिसंबर 2014 से 26,502 रुपये की 84 समान मासिक किस्तों में ब्याज के साथ भुगतान किया जाना था। बदले में बस को बैंक के पास पास गिरवी रखा गया था। कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक ने रिकवरी एजेंट से बस उठवा ली थी।

जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने बैंक ऑफ इंडिया को पीड़ित देवाशीष बी. रॉय चौधरी को मुआवजा देने को कहा। साथ ही, पीठ ने बैंक को मुआवजे की रकम लोन रिकवरी एजेंट से वसूली करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि रिकवरी एजेंट वास्तव में गुंडों का समूह प्रतीत होता है, जो बैंक से ऋण लेने वाले लोगों को परेशान करने के लिए ताकत का इस्तेमाल करता है।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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