high court news

कर्नाटक हाईकोर्ट की टिप्पणी, मां-बाप नाजायज हो सकते हैं, लेकिन बच्चे नहीं

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Beglare: कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि माता-पिता नाजायज हो सकते हैं, लेकिन उनसे पैदा होने वाली संतान नहीं। क्योंकि अपने जन्म में बच्चे की कोई भूमिका नहीं होती। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एच संजीव कुमार की खंडपीठ ने उक्त टिप्पणी एकल पीठ के आदेश को खारिज करते हुए की।

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने के संतोष नामक व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी थी जिसने अपने पिता की 2014 में मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर सरकारी बैंगलोर इलेक्टि्रकसिटी सप्लाई कंपनी (बीईएससीओएम) में नौकरी के लिए आवेदन किया था। उसके पिता कंपनी में लाइनमैन ग्रेड-2 के पद पर कार्यरत थे।

चूंकि याचिकाकर्ता का जन्म पिता की पहली शादी के रहते हुए दूसरी शादी से हुआ था, लिहाजा कंपनी ने इसे अपनी नीति के विरुद्ध बताते हुए उसके आवेदन को खारिज कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अपील की थी, जिसे कोर्ट की एकल पीठ ने खारिज कर दिया था।

एकल पीठ के आदेश को खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि कोई भी बच्चा एक पिता और एक मां के बिना दुनिया में नहीं आ सकता। लिहाजा, कानून को इस तथ्य को मान्यता प्रदान करनी चाहिए कि माता-पिता नाजायज हो सकते हैं, लेकिन बच्चे नहीं।

यह संसद का काम है कि वह बच्चों के वैध होने को लेकर कानून में एकरूपता लाए। इस प्रकार, यह संसद को निर्धारित करना है कि वैध विवाह से बाहर पैदा हुए बच्चों को किस तरह सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की तरफ से दायर अपील पर अनुमति देते हुए बचावपक्ष से उचित कदम उठाने को कहा।

इसे भी पढ़ेंः सीएम पर हमले के आरोपी भैरव सिंह की जमानत पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने मांगी केस डायरी

मामले में कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीटीसीएल) की तरफ से 2011 के एक सर्कुलर के आधार पर अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए पात्रता से वंचित कर दिया गया था। सर्कुलर में कहा गया था कि 2011 केपीटीसीएल सर्कुलर के एक क्लॉज में कहा गया है कि दूसरी पत्नी या उसके बच्चे अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं हैं, जहां तक यह दूसरी पत्नी के बच्चों से संबंधित है, अगर शादी पहली शादी के दौरान हुई है।

याचिकाकर्ता के. संतोष की पिताकर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (KPTCL) में लाइनमैन के रूप में काम करते थे। साल 2014 में नौकरी के दौरान ही उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद याचिकर्ता ने कंपनी में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए अनुरोध किया। इस पर कंपनी ने उपरोक्त सर्कुलर का हवाला देते हुए उनके अनुरोध को खारिज कर दिया। इसके बाद उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड को दो महीने के भीतर उचित कदम उठाने को कहा। कोर्ट ने बचाव पक्ष को निर्देश दिया गया है कि वे याचिकाकर्ता द्वारा किए गए आवेदन पर कानून के अनुसार विचार करें। अदालत ने कहा कि आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर विचार किया जाएगा, क्योंकि कर्मचारी की मृत्यु लगभग सात साल पहले हुई थी।

Rate this post

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker