JPSC News: झारखंड हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर और नवनीत कुमार की खंडपीठ ने विभागीय डिप्टी कलेक्टर परीक्षा को लेकर एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने जेपीएससी को दोनों कैंडिटेड के पद सृजित करते हुए नियुक्ति करने पर विचार करने का आदेश दिया है।
अदालत ने कहा कि एकल पीठ का आदेश बिल्कुल सही है। इसमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि जब दोनों कैंडिटेड पूर्व से नौकरी में है, तो उनकी शैक्षणिक योग्यता को सरकार ने मान्यता थी। ऐसे में अब उनकी शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाना उचित नहीं है। वर्ष 2005 में जारी विज्ञापन के लिए जेपीएससी ने वर्ष 2023 में विभागीय परीक्षा ली थी और सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए नियुक्ति के लिए सरकार को अनुसंशा भी भेज दी थी।
सरकार ने दाखिल की थी अपील
इसको लेकर सरकार की ओर से एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की गई थी। सुनवाई के जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह की ओर कहा गया कि दोनों कैंडिटेड का आवेदन अमान्य करार दे दिया गया था क्योंकि उन्होंने विद्यापीठ देवघर से डिग्री प्राप्त की थी। सरकार ने वर्ष 2015 के बाद से देवघर विद्यापीठ की सारी डिग्री को किसी सेवा के आमान्य करार दिया था। इस मामले में सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए 50 लोगों की नियुक्ति कर दी गई है।
प्रार्थियों का दावा- 1994 की डिग्री
प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि उनकी डिग्री वर्ष 1994 की है। ऐसे में सरकार का संकल्प उनपर लागू नहीं होता है। एकल पीठ ने भी इसी मामले को आधार बनाते हुए प्रार्थियों को नियुक्त करने का निर्देश दिया। सरकार की ओर से कहा गया कि एकल पीठ का आदेश सही नहीं है। इस मामले में एकल पीठ में सरकार की ओर से कोई शपथ पत्र भी दाखिल नहीं किया गया था। अदालत ने पूरे तथ्यों पर गौर किए बिना ही मामले में आदेश पारित किया है। जिसे निरस्त किया जाना चाहिए।
लेकिन खंडपीठ ने सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए प्रार्थियों को नौकरी देने पर विचार करने का निर्देश दिया है। बता दें कि वर्ष 2005 में जेपीएससी ने डिप्टी कलेक्टर के लिए विभागीय परीक्षा का आयोजन किया था। जिसमें मारवाड़ी महतो सहित अन्य ने आवेदन किया था। लेकिन दोनों की डिग्री नियमानुसार नहीं होने का हवाला देकर जेपीएससी ने इनके आवेदन को निरस्त कर दिया था।