Ranchi: राज्य के अस्पतालों और नर्सिंग होम से निकलने वाले कचरों को निष्पादित करने के मामले पर जिलों के उपायुक्तों की ओर से गुरुवार को भी जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामंचद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि फरवरी में ही कोर्ट ने सभी जिलों के उपायुक्तों को मेडिकल वेस्ट के निस्तारण का शपथपत्र दाखिल करने को कहा गया था, लेकिन उपायुक्तों ने जवाब दाखिल नहीं किया। यह गंभीर मामला है। अदालत ने सरकार को अंतिम मौका देते हुए 16 जून तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। फरवरी 2025 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य के सभी जिलों के डीसी से पूछा था कि उनके जिले में स्थित नर्सिंग होम एवं अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की क्या व्यवस्था है। कोर्ट ने सभी उपायुक्तों से शपथपत्र के माध्यम से जानकारी मांगी थी।
पूर्व की सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि झारखंड में अभी लोहरदगा, रामगढ़, पाकुड़ धनबाद एवं आदित्यपुर में बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट चल रहे हैं। जबकि जबकि देवघर में बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को चालू रखने के लिए अनुमति देना था जिसे उसने दे दिया है। प्रार्थी झारखंड ह्यूमन राइट कंफेडरेशन ने याचिका में झारखंड में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट रूल लागू कराने का आग्रह किया है।