सड़क निर्माण के लिए पेड़ काटने जाने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
Ranchi: मझियांव- कांडी सड़क निर्माण के लिए पेड़ों की गलत तरीके से हो रही कटाई को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को 11 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। वृजेंद्र कुमार पाठक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने यह निर्देश दिया।
अदालत ने सरकार को बताने को कहा है कि अब तक कितने पेड़ काटे गए हैं। पेड़ों की कटाई में क्या मानक निर्धारित किए गए हैं। काटे गए पेड़ों के बदले कितने पेड़ लगाए गए हैं। सरकार को 11 जुलाई तक पूरा ब्योरा कोर्ट में पेश करने का निर्देश अदालत ने दिया है। याचिका में कहा गया है कि उक्त सड़क के निर्माण पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की जा रही है। कुछ ऐसे पेड़ों को भी काटा गया है जिन्हें काटे बगैर भी सड़क निर्माण किया जा सकता है। पेड़ों की कटाई से इलाके का पर्यावरण प्रभावित होगा।
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झारखंड हाईकोर्ट ने किसी भी स्थिति में नदी, डैम, तालाब और अन्य जलाशयों पर अतिक्रमण नहीं होने देने का निर्देश सरकार को दिया है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने गुरुवार को कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। अदालत ने कहा कि जल स्त्रोतों को संरक्षित किया जाना चाहिए और इसे बर्बाद करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए। अदालत ने रांची नगर निगम निगम और सरकार को दो सप्ताह में बड़ा तालाब और दूसरे डैम के बारे में दिए गए निर्देशों के आलोक में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और रांची नगर निगम की ओर से बताया गया कि जल स्त्रोतों से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की जा रही है। डैमों, तालाब और जलाशयों का सीमांकन और सर्वे किया जा रहा है। कई जलाशयों के किनारे से अतिक्रमण हटाया गया है। कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के कारण कुछ विलंब हुआ है। अदालत से पूर्व के निर्देशों के आलोक में दवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की गयी। अदालत ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए दो सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।