ई-पास मामले में हाईकोर्ट का हस्तक्षेप से इन्कार, सरकार का नीतिगत मामला बता याचिका की खारिज

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने ई-पास की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका सरकार का नीतिगत मामला बताते हुए खारिज कर दिया। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि यह सरकार का नीतिगत मामला है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ई-पास जैसी व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में अदालत सरकार के नीतिगत मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

इस संबंध में राजन कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल ने कहा कि ई-पास बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल है और लोगों की निजता का उल्लंघन भी है। इसके अलावा जरूरी समान जैसे, दूध, फल, सब्जी सहित अन्य खाद्य सामग्री के लिए ई-पास रोजाना बनाना संभव नहीं है।

इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि जरूरी समान के लिए दो-पहिया वाहन की जरूरत नहीं है। पैदल भी दूध, सब्जी की खरीदारी की जा सकती है। इस पर अदालत ने भी सहमति जताई और याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि सरकार ने सुरक्षा सप्ताह (लाकडाउन) में घर से निकलने के लिए ई-पास अनिवार्य कर दिया है। इसके बिना बाहर निकलने पर पुलिस जुर्माना वसूल रही है।

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राजन कुमार सिंह ने अपने अधिवक्ता अनूप अग्रवाल के माध्यम से याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने 16 से 27 मई तक शहर के अंदर भी वाहनों के परिचालन के लिए ई पास को अनिवार्य किया है। सरकार ने पास बनाने के लिए लोगों से वजह पूछा है। मतलब लोगों को अपनी हर गतिविधि की जानकारी देनी होगी। सरकार का यह नियम निजता के अधिकारी का उल्लघंन भी है।

स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान सरकार ने सिर्फ जरूरी सेवाएं ही जारी रखने का निर्णय लिया है। जरूरी सेवा की दुकानें ही खोलने को कहा है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति बाहर निकलता है तो वह आवश्यक काम से ही निकलेगा। आपात स्थिति में यदि किसी को अचानक बाहर निकलना पड़े तो वह अपन दो पहिया वाहन तक का इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्योंकि इसके लिए ई पास की जरूरत होगी।

याचिका में कहा गया था कि स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान लोगों की आवाजाही काफी कम है और बिना जरूरत के लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। ऐसे में ई पास जारी किये जाने के लिए जो जानकारी मांगी जा रही है उससे निजता का हनन होने की भी पूरी संभावना है। झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लाखों ऐसे लोग हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है । ऐसे में वो ई पास के लिए कैसे और कहां आवेदन करेंगे यह भी एक बड़ी परेशानी है।

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