Naxali Prashant bose: झारखंड हाई कोर्ट ने मओवादी प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी को जमानत देने से इन्कार कर दिया है। दोनों की ओर से हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई थी।
हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस नवनीत कुमार की अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद प्रार्थियों को राहत प्रदान करने से इन्कार करते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।
नक्सलियों के थिंक टैंक हैं प्रशांत बोस
सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता भोलानाथ ओझा की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रशांत बोस नक्सलियों के थिंक टैंक हैं और इनके खिलाफ झारखंड के अलग-अलग जिलों में 50 मामले दर्ज हैं। इनकी पत्नी शीला मरांडी पर 18 मामले दर्ज हैं। इसलिए इन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
इसके अलावा इनके पास से एसएसडी कार्ड और पेन ड्राइव की जांच करने पर इनके नक्सली गतिविधियों में शामिल होने की बात सामने आयी है। पुलिस ने जांच पूरी करते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसके कथित पत्रकार अरविंद सिंह को भी जमानत नहीं दी जानी जाहिए थे।
वहीं, प्रशांत बोस की ओर से कहा गया कि उनकी नक्सली गतिविधियों में कोई संलिप्तता नहीं है। प्रशांत बोस की ओर से उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया गया। लेकिन अदालत ने प्रशांत और उनकी पत्नी शीला मरांडी की जमानत याचिका खारिज कर दी।
2021 में गिरफ्तार हुए थे माओवादी प्रशांत बोस
बता दें कि वर्ष 2021 में झारखंड पुलिस ने भाकपा माओवादी के शीर्ष पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला मरांडी और चार माओवादियों को गिरफ्तार किया था। तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं।
प्रशांत और उनकी पत्नी शीला मरांडी के पास से 4 मोबाइल, दो एसएसडी कार्ड, एक पेन ड्राइव 1.51 लाख नकद बरामद हुआ था। इसे लेकर सरायकेला जिले के कांड्रा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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