सिख दंगा में मुआवजा और आपराधिक मामले का ब्योरा नहीं देने पर गृह सचिव और डीजीपी हाई कोर्ट में तलब

झारखंड हाई कोर्ट ने सिख दंगा पीड़ितों के आपराधिक मामलों की प्रगति रिपोर्ट सरकार की ओर से पेश नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने गृह सचिव और राज्य के डीजीपी को 19 दिसंबर को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है।

चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सतनाम सिंह गंभीर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेसिंग से पेश होने का निर्देश ने दिया।

सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि सिख दंगा अब तक मुआवजा का भुगतान क्यों नहीं हुआ। मामले में करीब 430 केस दर्ज है, उसकी क्या स्थिति है इसकी जानकारी जानकारी सरकार ने क्यों नहीं दी है।

सिख दंगा के पीड़ितों को दिया जा रहा मुआवजाः सरकार

इस पर अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने बताया कि रांची, रामगढ़ और पलामू में पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। बोकारो जिला में मुआवजा भुगतान के लिए 1.20 करोड़ की अतिरिक्त राशि स्वीकृत कर ली गई है।

जल्द ही राशि जारी कर दी जाएगी। इसको लेकर वर्ष 1984-85 में आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है। अब इस संबंध में सभी जगहों से जानकारी जुटाई जा रही है।

पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सिख दंगा पीड़ितों को मुआवजा और आपराधिक मामलों के मामले में जस्टिस डीपी सिंह आयोग की रिपोर्ट पेश करने को कहा था। साथ ही यह पूछा था कि किन किन जिलों में मुआवजा का भुगतान कर दिया गया है।

तीन जिलों में पीड़ितों को दिया गया मुआवजा

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि रांची, रामगढ़ और पलामू में पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। लेकिन सरकार की ओर से अपराधिक मामलों का पूरा ब्योरा पेश नहीं किया जा सका।

इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने गृह सचिव और डीजीपी को 19 दिसंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया। इस संबंध में सतनाम सिंह गंभीर ने जनहित याचिका दायर की है।

याचिका में 1984 के दंगों के पीड़ितों को पूरा मुआवजा नहीं मिलने और आपराधिक मामलों के लंबित की जांच कराने का आग्रह किया गया है। हाई कोर्ट ने जस्टिस डीपी सिंह की अध्यक्षता में आयोग का गठन कर पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।

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