Financial irregularities: जमशेदपुर जिला बार संघ में वित्तीय अनियमितता के मामले में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

Ranchi: Financial irregularities झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर जिला बार संघ में वित्तीय अनियमितता के मामले में कार्रवाई के बारे में झारखंड स्टेट बार काउंसिल से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि ऑडिट रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद क्या कार्रवाई की गई है। मामले में अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।

चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने इस मामले में बार काउंसिल की ओर से पूर्व में दाखिल शपथ पत्र से असंतुष्टि जाहिर करते हुए दोबारा शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि जब ऑडिट रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता मिली है, तो काउंसिल की ओर से अब तक प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराई गई है।

इस मामले में बार काउंसिल बेवजह समय बर्बाद कर रही है। काउंसिल इसकी जांच के लिए कोई सक्षम पदाधिकार नहीं है। इसलिए उन्हें कार्रवाई का आदेश देना चाहिए था। इस दौरान यह भी कहा गया कि इस मामले में कार्रवाई नहीं होने की वजह से दूसरे जिला बार संघों में भी वित्तीय अनियमितता की बात सामने आने लगी है।

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सिविल कोर्ट में आदेश की प्रति होगी अपलोड
सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं को अब आदेश की प्रति देखने के लिए अदालत नहीं जाना पड़ेगा। अब ऑनलाइन ही अदालत द्वारा पारित आदेश को देखा जा सकता है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यह व्यवस्था की गई है। पूर्व में भी इस तरह के आदेश जारी किया गया था।

लेकिन एक-दो कोर्ट को छोड़ अन्य अदालतों द्वारा पारित आदेश को वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया जाता था। सिविल कोर्ट पांच जनवरी से वर्चुअल मोड में सुनवाई हो रही है। अधिवक्ता आवासीय कार्यालय या बार भवन में बैठकर ऑनलाइन बहस कर रहे हैं। झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मोहम्मद शाकिर ने कहा कि सभी अदालतों को अपने आदेश को वेबसाइट पर अपलोड करना है। पूर्व में भी यही आदेश था।

याचिका एवं नकल आवेदन फाइलिंग करने के लिए कोर्ट जाना होता है। अदालत की ओर से पारित आदेश देखने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है। पिछले दिनों कोविड-19 बचाव को लेकर न्यायिक पदाधिकारियों के साथ बार एसोसिएशन की बैठक हुई थी।

महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने आदेश की प्रति ऑनलाइन अपलोड करने की मांग की थी। ऐसे में वकीलों एवं अन्य को घर बैठे अदालती आदेश की जानकारी मिला जाए। इधर, झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने भी रजिस्ट्रार जनरल को लिखा है कि हाई कोर्ट की तरह निचली अदालतों का ऑर्डर भी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए।

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