EWS News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गरीब मरीजों को गंभीर बीमारियों पर नि:शुल्क उपचार के लिए विशेषज्ञ समिति के सुझावों को लागू करने का निर्देश दिया है। इसमें मरीज द्वारा आवेदन करने पर सात दिन के अंदर उसे अस्पताल और संसाधन उपलब्ध कराए जाने की सिफारिश को लागू करने के आदेश दिए गए हैं।
अदालत ने 2023 में दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे कि मरीजों के उपचार की योजना बनाने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की जाए। मई में हुई सुनवाई में दिल्ली सरकार की विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट अदालत में दाखिल की है, जिसके बाद अदालत ने सभी सुझावों को 15 अक्तूबर तक लागू करने निर्देश दिए हैं।
मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ कर रही थी। खंडपीठ सर्वेश नाम के युवक की याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें एम्स दिल्ली को याचिकाकर्ता के कूल्हे और घुटने के प्रत्यारोपण के निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अशोक अग्रवाल कर रहे थे। पीठ ने 20 सितंबर 2023 को कमेटी का गठन किया था। कमेटी की तरफ से आठ सुझाव दिए गए हैं। अदालत ने एक्शन टेकेन रिपोर्ट 15 अक्तूबर तक दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
1- सार्वजनिक अस्पतालों द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, सरकारी अस्पताल/केंद्र सरकार के अस्पताल/एमसीडी अस्पताल/एनसीटी में स्थित एम्स सहित स्वायत्त अस्पताल उचित आवश्यकताओं को सुनिश्चित करेंगी।
2- सभी की दरों के निर्धारण हेतु सीपीए के माध्यम से रेट कार्ड बनाने की प्रक्रिया और उपकरणों की खरीदारी तीन माह के अंदर पूरी कर लेनी चाहिए।
3- अस्पतालों को ऐसे उपचार के लिए अधिक सक्रिय होने की सलाह दी जानी चाहिए रोगियों और अनुमोदन के लिए प्रक्रिया को 7 दिनों के भीतर तेज करना बेहतर होगा। ऐसे मामले को 7 दिनों के भीतर मंजूरी देनी चाहिए।
4- दिल्ली के हर सरकारी अस्पताल की वेबसाइट में उपलब्ध दवा, प्रत्यारोपण आदि पर वास्तविक समय अपडेट किया जाए। इसके लिए एनआईसी द्वारा पोर्टल बनाया जाए।
5- मरीजों की सुविधा के लिए सिंगल विंडो मैकेनिज्म होगा जो दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों/केंद्रीय अस्पतालों में लागू/ बढ़ाया गया।
6- जब तक सॉफ्टवेयर विकसित नहीं हो जाता तब तक ई-ऑफिस का उपयोग सभी द्वारा किया जा सकता है।
7- सॉफ्टवेयर को एनआईसी की मदद से विकसित किया जा सकता है (जैसा कि ऊपर अनुशंसित है)।
8- योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार अस्पताल कर्मचारी हो सकते हैं। कर्मचारियों को रोगी के अनुकूल वातावरण बनाने के प्रति संवेदनशील बनाया जाएगा।