Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड (CUJ) के एक मामले में एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया है। अदालत ने सीयूजे को चिकित्सा पदाधिकारी के खिलाफ की जा रही विभागीय कार्रवाई को तीन माह में पूरा करने का निर्देश दिया है।
इस मामले में सीयूजे की याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने सीयूजे के उस दलील को मान लिया कि इस मामले में एकल पीठ की ओर से हस्तक्षेप करने का यह उचित समय नहीं था।
दरअसल, एकल पीठ ने सीयूजे के उस आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसमें सीयूजे के मेडिकल पदाधिकारी डॉ ईश्वरचंद्र को वित्तीय अनियमितता के मामले में निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू की थी। इसी आदेश के खिलाफ सीयूजे की ओर से हाईकोर्ट की खंडपीठ में अपील दाखिल की गई थी।
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सुनवाई के दौरान सीयूजे के अधिवक्ता मनोज टंडन ने अदालत को बताया कि चिकित्सा पदाधिकारी डॉ ईश्वरचंद्र पर वित्तीय अनियमितता के साथ वरीय अधिकारियों की बात नहीं मानने का आरोप था। इस मामले में मई 2019 में इन्हें निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई।
सीयूजे के आदेश के खिलाफ डॉ ईश्वरचंद्र ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने सीयूजे की ओर से इनके खिलाफ की गई सभी कार्रवाई को निरस्त कर दिया। मनोज टंडन ने अदालत को बताया कि डॉ ईश्वरचंद्र के खिलाफ सीयूजे ने अभी आरोप गठित कर कार्रवाई कर रही है।
एकल पीठ को इस मामले में हस्तक्षेप करने का उचित समय नहीं था। इसलिए एकल पीठ के आदेश को निरस्त किया जाए। इसके बाद अदालत ने सीयूजे की दलील को मानते हुए एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले में तीन माह के अंदर सारी कार्रवाई पूरी कर ली जाए।