Court News: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने पीड़िता से शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाने के मामले में प्रेमी को दोषमुक्त करार देते हुए 7 साल की सजा का आदेश निरस्त कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि वादा पूरा न करने का मतलब हर मामले में यह नहीं निकाला जा सकता कि वादा झूठा था। दुष्कर्म का मामला तभी बनता है जब वादे के पीछे धोखा देने की मंशा हो।
याचिका दाखिल करते हुए प्रेमी ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई 7 साल की सजा के आदेश को चुनौती दी थी। प्राथमिकी के अनुसार पीड़िता अपनी मर्जी से आरोपी के साथ घर से चली गई थी। याची ने उसे शादी करने के लिए कहीं ले जाने की बात कह कर बाहर बुलाया था। लेकिन, वह उसे एक ट्यूबवेल पर ले गया, जहां उसने शादी करने के बहाने उसके साथ बलात्कार किया।
महिला की सहमति से हुआ
याची के वकील ने तर्क दिया कि महिला वयस्क है और वह अपनी मर्जी से उसके साथ भागी थी। महिला याची के साथ 3 दिन तक रही और उसके साथ मोटर साइकिल पर काफी लंबी दूरी तय की। उसकी ओर से किसी भी तरह का कोई प्रतिरोध या विरोध नहीं किया गया। सभी परिस्थितियों से साबित होता है कि महिला की सहमति थी और इसलिए अपीलकर्ता द्वारा कोई भी अपराध नहीं किया गया है।
हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही या बयान में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि जब अपीलकर्ता ने उससे शादी करने का वादा किया था, तो यह गलत इरादे से या उसे धोखा देने के इरादे से किया गया था।
हाई कोर्ट ने कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि ऐसा वादा किया गया था, अपीलकर्ता द्वारा अपना वादा पूरा न करने का अर्थ यह नहीं लगाया जा सकता कि वादा ही झूठा था। पीडि़ता 18 वर्ष से अधिक उम्र की है और ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह सुझाव दे कि आरोपी के साथ रहने के दौरान पीड़िता ने कोई शोर मचाया या विरोध किया।