जयपुर। राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बागी विधायकों को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार देने की नोटिस को सचिन पायलट खेमे ने राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उनकी इस याचिका पर आज सुनवाई होगी।
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पायलट सहित कांग्रेस के 19 विधायकों को भेजे गए इस नोटिस पर न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र शर्मा की अदालत में सुनवाई करेगी
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी कि इन 19 विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठकों में शामिल होने के पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया है, इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मंगलवार को सभी को नोटिस जारी किया।
पायलट खेमे के विधायकों का कहना है कि पार्टी का व्हिप सिर्फ तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो।
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गयी शिकायत में पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।
दरअसल, इस के तहत अगर कोई विधायक अपनी मर्जी से पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिसके सिंबल पर जीत कर विधानसभा में पहुंचा है तो वह सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को लिखे पत्र में कांग्रेस ने कहा है कि हाई कोर्ट ने पहले ही एक फैसला दिया है कि यह प्रावधान उस वक्त प्रभावी होता है जब विधायक का व्यवहार इस स्तर पर पहुंच जाए।
जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है उनमें विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा भी हैं। अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत को लेकर सचिन पायलट के साथ इन्हें भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
नोटिस पाने वाले अन्य विधायकों में दीपेन्द्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा और हरीश चन्द्र मीणा भी शामिल हैं। इन्होंने भी गहलोत सरकार के खिलाफ मीडिया में बयान दिए थे।
बता दें कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सचिन पायलट कुछ नाराज चल रहे थे।
राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 और भाजपा के पास 72 विधायक हैं।