Kolkata: कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने अपने एक फैसले में कहा है कि दुपट्टा खींचना, हाथ खींचना और पीड़िता को शादी के लिए प्रपोज करना पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत यौन हमला या यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी माना था।
जस्टसि विवेक चौधरी की खंडपीठ ने सबूतों को देखते हुए पाया कि पीड़िता की गवाही में विसंगतियां हैं। अदालत ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि एफआईआर में वास्तविक शिकायतकर्ता के चाचा ने कभी नहीं कहा कि आरोपी ने पीड़िता का हाथ खींचा। हालांकि 10 दिनों के बाद सीआरपीसी धारा 164 के तहत दर्ज की गई अपने बयान में पीड़िता ने पहली बार कहा कि आरोपी ने उसका हाथ खींचा था।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह मानते हुए भी कि अपीलकर्ता ने पीड़िता का दुपट्टा खींचा और हाथ खींचा है और उसे शादी करने का प्रस्ताव दिया है, ऐसा कृत्य यौन उत्पीड़न या यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है। आरोपी भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के साथ पठित धारा 354 ए के तहत अपराध करने के लिए उत्तरदायी हो सकता है।
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अदालत ने कहा कि इसलिए अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354बी और 509 के तहत आरोप से दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इसके साथ ही अपीलकर्ता को पोक्सो अधिनियम की धारा 8 और 12 के तहत आरोप के लिए भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, जब पीड़ित लड़की अगस्त 2017 में स्कूल से लौट रही थी तो आरोपी ने उसका दुपट्टा खींचा और उसे शादी के लिए प्रपोज किया। साथ ही आरोपी ने धमकी दी कि अगर पीड़ित लड़की ने उसके प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया तो वह उसके शरीर पर तेजाब फेंक देगा।
ट्रायल कोर्ट ने सबूतों को देखने के बाद माना कि आरोपी द्वारा पीड़ित लड़की का दुपट्टा खींचना और उससे शादी करने के लिए प्रपोज करने का उसकी शील भंग करने के इरादे से किया गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि आरोपी ने उसका हाथ खींचकर उसका यौन उत्पीड़न किया।
उससे शादी करने के लिए अवांछित और स्पष्ट यौन प्रस्ताव पेश किए। ट्रायल जज ने आरोपी को पोक्सो अधिनियम की धारा 8 और 12, भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354बी, 506 और 509 के तहत अपराध करने का दोषी ठहराया। आरोपी का कृत्य यौन उत्पीड़न की तरह पाया गया।