Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि रिम्स जैसे राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में अपनी सीटी स्कैन और दूसरी अन्य महत्वपूर्ण मशीन नहीं होने को शर्मनाक है। कहा कि राज्य में हेल्थ एमरजेंसी जैसे हालात हैं। ऐसे में रिम्स में मशीन और सभी कुछ आउटसोर्स किया जाना उचित नहीं है।
मशीन खरीदने और उसे अस्पताल में लगाने इतना लंबा समय लगने से प्रतीत होता है कि इस मामले को सरकार और रिम्स गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। आपात स्थिति में लेथार्जिक एप्रोच से काम करना बेहद शर्मनाक है। सरकार और रिम्स एक दूसरे को सिर्फ पत्राचार कर रहे हैं, जबकि हालात को देखते हुए युद्धस्तर पर काम होना चाहिए।
गुरुवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत कोरोना से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने अगले सप्ताह रिम्स और सरकार को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने रिम्स से पूछा है कि आदेश के बाद भी रिम्स में सीटी स्कैन समेत अन्य मशीनें इंस्टॉल की गयी हैं या नहीं।
सुनवाई के दौरान रिम्स की ओर से अदालत को बताया गया कि सिटी स्कैन मशीन समेत अन्य जरूरी मेडिकल उपकरणों की खरीद की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है। जिसपर अदालत ने कहा कि यह जानकारी पिछली बार भी दी गयी थी, आज भी यही बात दोहरायी जा रही है। अदालत इसके आगे की कार्रवाई जानना चाहता है।
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अदालत ने रिम्स प्रबंधन से कहा कि वह उपकरणों की जल्द डिलीवरी सुनिश्चित करें। उपकरणों के इंस्टॉल करने की प्रक्रिया भी अभी से शुरू करने के कहा ताकि मशीनों के आते ही उन्हें इंस्टॉल किया जाए। अदालत ने रिम्स निदेशक को सरकार के साथ बैठ कर सभी समस्याओं का हल निकालने को कहा। इस पर रिम्स की तरफ से कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि उपकरण खरीद से जुड़ी हुई सभी बिंदुओं का हल निकाल लिया जाएगा।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने जिला और प्रदेश स्तर पर नोडल अधिकारी बनाए हैं, ताकि बेहतर समन्वय के साथ काम हो सके। केंद्र सरकार से भी समन्वय बनाने के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। झारखंड को पीएम केयर्स से दो कंपनियों से वेंटिलेटर मिले हैं। इन दोनों कंपनियों से संपर्क किया गया है और तकनीशियनों को बुलाया गया है।
सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि कोरोना से बचाव के लिए जेलों मे कैदियों की भीड़ कम करने का प्रयास जारी है। करीब 4000 कैदियों को दूसरे जेल में स्थानांतरित किया गया है। वर्तमान में 1200 और कैदियों की पहचान की गयी है। जल्द ही उन्हें भी शिफ्ट किया जाएगा। जेल में जो नए कैदी आ रहे हैं उन्हें सात दिनों तक आइसोलेशन में रहना पड़ रहा है।
कैदियों के निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही उन्हें शिफ्ट किया जाता है। सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य में 1952 बाल बंदी है। इनमें मात्र छह संक्रमित पाए गए थे। सभी का इलाज कराया गया है। अन्य बाल कैदियों की स्थिति सामान्य है। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से कैदियों के बारे में जानकारी मांगी थी।