रांचीः (Jharkhand High Court) झारखंड हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वाहनों में पदनाम और बोर्ड लगा कर चलाने वालों को सरकार छूट देकर वीआईपी कल्चर (VIP Culture) को बढ़ावा दे रही है।
(Supreme Court) सुप्रीम कोर्ट ने वीआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए ही वाहनों से बीकन लाइट और नेम प्लेट हटाने का निर्देश दिया था। सरकार इस पर कार्रवाई करने के लिए नियम बनाए।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने गजाला तनवीर की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता फैसल अल्लाम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी वाहन में नेम प्लेट और बोर्ड नहीं लगाया जा सकता।
लेकिन झारखंड में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। सरकारी अधिकारी से लेकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और अन्य लोग भी बोर्ड लगा कर चल रहे हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है।
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कोर्ट के आदेश पर परिवहन सचिव को ऑनलाइ हाजिर हुए थे। अदालत ने सचिव से पूछा कि आखिर वाहनों से नेम प्लेट व बोर्ड क्यों हटाए जा रहे हैं।
अदालत को बताया कि बोर्ड हटाने को लेकर कोई नियमावली नहीं बनी है, इसलिए बोर्ड नहीं हटाया जा रहा है। जब तक नियमावली नहीं बनेगी तब तक बोर्ड नहीं हटाया जा सकता।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि लाल और पीली बत्ती हटाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश मान लिया गया और बोर्ड हटाने पर नियमावली का नहीं होने का बहाना क्यों बनाया जा रहा है।
इस पर सचिव ने कहा कि छह सप्ताह में इससे संबंधित नियमावली बना ली जाएगी। नियमावली में यह तय कर लिया जाएगा कि पदनाम का बोर्ड लगाने के लिए कौन अधिकृत होंगे और कौन नहीं।
सरकारी वाहनों के लिए भी नियम तय कर लिए जाएंगे। इस पर अदालत ने सचिव को नियमावली तैयार करने के बाद उठाए गए कदम की जानकारी के साथ विस्तृत रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से दाखिल करने का निर्देश दिया।