रांचीः राज्य में संविदा पर कार्यरत चिकित्सकों की ओर से नियुक्ति में उम्र की छूट की मांग वाली याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ऋषि पल्लव ने अदालत को बताया कि नियुक्ति नियमावली के अनुसार हर वर्ष 31 दिसंबर को रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए छह साल बाद विज्ञापन जारी किया है।
इस दौरान संविदा पर कार्यरत चिकित्सकों की उम्र बाधित हो गई है। सरकार का यह कहना कि उम्र में छूट देने का प्रावधान नहीं है और विज्ञापन में अगस्त 2020 उम्र का कट ऑफ डेट रखना उपयुक्त नहीं है। क्योंकि इसके लिए न तो नियम और न ही इसको लेकर सरकार को कई संकल्प है।
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नियमानुसार जब रिक्त पदों पर नियुक्ति हर साल होनी चाहिए तो इस नियुक्ति में हर साल के पदों की अलग-अलग उम्र का कट ऑफ डेट होना चाहिए था। अधिवक्ता ऋषि पल्लव ने अदालत को बताया कि नियुक्ति होने के बाद भी अभी की सीटें खाली है।
इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने डॉ अमिल भट्ट के मामले में आदेश देते हुए कहा कि विज्ञापन के बाद भी सीट नहीं भरी है और केवल उम्र को छोड़कर प्रार्थी सभी आहर्ता पूरी करते हैं, तो सरकार को उम्र में छूट देकर सीट को भर देना चाहिए। यहां पर यही स्थिति है।
सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया और कहा गया कि उम्र में छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है। जबकि जेपीएससी ने कहा कि यह सरकार की नीति है।