झारखंड में सहायक आचार्य नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। झारखंड हाई कोर्ट ने नियुक्ति के लिए निकले विज्ञापन पर लगी रोक वापस ले ली है। लेकिन चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने अदालत ने प्रार्थियों के लिए 100 सीट रिक्त रखने का निर्देश दिया है।
सरकार ने कहा- सहायक आचार्य की नियुक्ति जरूरी, रोक हटाएं
इसके पूर्व हाईकोर्ट मे पांच सितंबर को नियुक्ति के लिए निकले विज्ञापन पर रोक लगा दी थी। अदालत ने सरकार और जेएसएससी से जवाब मांगा था। सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत से रोक हटाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नियुक्ति अनिवार्य है इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी जाए और रोक हटा ली जाए। हाईकोर्ट ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए रोक वापस ले ली।
पारा शिक्षकों 50 प्रतिशत आरक्षण देने के खिलाफ दाखिल है याचिका
इस संबंध में बीआरपी बहादुर महतो एवं अन्य ने याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अदालत को बताया गया कि सहायक आचार्य नियुक्ति की वर्ष 2023 में बनी नियमावली में संविदा पर कार्यरत बीआरपी और सीआरपी को आरक्षण के लाभ से वंचित किया गया है।
जबकि वर्ष 2022 में बनी नियमावली में शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को भी 50 फीसदी आरक्षण दिया गया था। बाद में सरकार ने संशोधित नियमावली बनायी और शिक्षाकर्मियों के आरक्षण को समाप्त कर दिया।
वर्ष 2023 में जो नियमावली बनायी गयी है उसमें सिर्फ पारा शिक्षकों को ही सहायक आचार्य की नियुक्ति में 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। शिक्षाकर्मियों को भी पारा शिक्षकों की तरह 50 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए।
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