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Illegal Police Custody case: सुप्रीम कोर्ट ने ‘बिहार पुलिस’ पर उठाए सवाल, कहा- गरीब और अमीर की स्वतंत्रता एकसमान

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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार में पुलिस (Bihar Police) की भूमिका को लेकर सरकार (Government of Bihar) पर गंभीर टिप्‍पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गरीब की स्वतंत्रता, अमीर या संसाधनों से संपन्न लोगों की स्वतंत्रता से कमतर नहीं है। अदालत ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राज्‍य सरकार की याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता है कि बिहार में पूरी तरह से ‘पुलिस राज’ है। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस डीवाई चंद्राचूड़ और जस्टसि एमआर शाह ने बिहार सरकार की ओर से दाखिल क्रिमिनल अपील पर सुनवाई के बाद कहा कि पटना हाई कोर्ट का फैसला लागू रखा जाना चाहिए। पूरा मामला सारण जिले के परसा पुलिस स्‍टेशन से जुड़ा है।

अदालत ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता के नुकसान होने पर ऐसा नहीं है कि अमीर लोगों को मुआवजा अधिक मिलना ठीक है लेकिन गरीब को अधिक मिलना ठीक नहीं है। गरीब की स्वतंत्रता, अमीर या रसूखदार लोगों की स्वतंत्रता से कम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का ट्रक चालक को पांच लाख का मुआवजा देने का आदेश सही है।

समस्‍तीपुर जिले के सुमित कुमार की याचिका पर पटना हाई कोर्ट ने जितेंद्र कुमार नाम के एक शख्‍स को पांच लाख रुपए मुआवजा छह हफ्तों के अंदर देने का निर्देश बिहार सरकार को दिया था। साथ ही इस शख्‍स को प्रताडि़त करने के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने को कहा था।

दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट 30 अप्रैल 2021 तक देने को कहा था। हाईकोर्ट ने डीजीपी को दोषी अधिकारियों पर आपराधिक मामला चलाने और व्‍यक्तिगत तौर पर एफिडेविट के जरिये इसकी जानकारी देने को कहा था।

इसे भी पढ़ेंः राष्ट्रीय लोक अदालत में 29733 मामलों का निपटारा, 106 करोड़ का भुगतान

22 दिसंबर 2020 के इस फैसले में पटना हाई कोर्ट ने भी बिहार पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए डीजीपी को कहा था कि वे अपनी पूरी पुलिस फोर्स को आम लोगों के साथ सही तरीके से पेश आने के लिए ट्रेनिंग दिलाएं। ट्रक ड्राइवरों और अशिक्षित लोगों के साथ पुलिस का व्‍यवहार बदले जाने और उनकी शिकायतों के लिए एक मैकेनिज्‍म विकसित करने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया था।

यह मामला ट्रक ड्राइवर जितेंद्र को अवैध ढंग से काफी दिनों तक पुलिस हिरासत में रखे जाने का था। कोर्ट ने पुलिस के सभी तर्कों को इस मामले में खारिज कर दिया था। इसी मामले में राहत के लिए राज्‍य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में राज्‍य सरकार के वकील ने कहा कि जितेंद्र कुमार एक ट्रक ड्राइवर है और उसके लिए पांच लाख मुआवजा अधिक है। इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई और व्‍यक्ति की हैसियत देख कर मुआवजा तय करने को गलत बताया। कहा कि उसे पूरा मुआवजा मिलना चाहिए।

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Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

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