हाईकोर्ट ने समय के साथ बच्चों की बदलती प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर की है। अदालत ने कहा है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगने से नाराज नाबालिग ने घर छोड़ दिया। यह एक गंभीर विषय है। इस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे ही एक मामले पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने उपर्युक्त टिप्पणी की। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस प्रतिभा एम सिंह एवं जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने 13 साल की बच्ची की बरामदगी के बाद उसके पिता को सुपुर्द करने के आदेश दिए हैं।
इस मामले की सुनवाई के दौरान मोबाइल फोन और सोशल मीडिया पर सक्रियता का मुद्दा सामने आया। लड़की ने उच्च न्यायालय में दिए बयान में कहा कि उसे मोबाइल फोन चलाना बहुत पसंद है। वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती है। ये बात उसके पिता को पसंद नहीं है। पिता उसके साथ दिनभर टोका-टोकी करते रहते हैं। उसे पढ़ने के लिए कहते हैं। पिता की इस आदत से वह तंग आ गई थी। इसलिए उसने गुस्से में अपने पिता से दूर जाने का फैसला किया। उसने इंस्टाग्राम पर बने दोस्त से संपर्क किया और घर छोड़ने की इच्छा जताई। दोस्त की मदद से वह बिहार चली गई, जहां वह दोस्त की बुआ के घर पर रही। हालांकि, लड़की ने यह स्पष्ट किया कि इसमें उसके सोशल मीडिया के दोस्त की कोई गलती नहीं है। उसके साथ कुछ गलत भी नहीं हुआ है।
पिता ने मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र :
इस मामले में लड़की के पिता ने 25 जून को अपनी 13 साल की बेटी के घर से लापता होने की जानकारी बाहरी दिल्ली पुलिस को दी थी। 26 जून को पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया, लेकिन लड़की का एक महीने तक पता नहीं चला। पिता को लगने लगा कि लड़की को किसी अपहरणकर्ता गिरोह ने अगवा कर लिया है। ऐसे में पिता ने अपना दर्द बयां करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 22 जुलाई 2024 को पत्र लिखा। मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र को जनहित याचिका समिति के पास भेज दिया। इस पत्र को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में तब्दील करते हुए पुलिस से रिपोर्ट तलब की गई। सात अगस्त को पुलिस ने पीठ को बताया कि लड़की को एक महीना 12 दिन बाद बिहार से बरामद कर लिया गया है।
टिप्पणी…यह गंभीर बात, इस पर ध्यान देना जरूरी
● बच्ची ने बयान में कहा- सोशल मीडिया चलाने पर पिता रोकते थे, हमेशा पढ़ाई के लिए कहते रहते थे, इसलिए छोड़ा अपना घर