Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की अदालत में सीटेट पास अभ्यर्थियों को जेटेट की तरह मान्यता देते हुए राज्य की शिक्षक नियुक्ति में शामिल होने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि शिक्षक नियुक्ति में जेटेट अभ्यर्थियों की तरफ ही सीटेट पास या अन्य राज्यों से टेट पास अभ्यर्थी को मौका देने पर सरकार का क्या पक्ष है। मामले में अगली सुनवाई 18 अगस्त को निर्धारित की गई।
इसे भी पढ़ेंः Breaking: जीना नहीं चाहते हैं पूर्व विधायक संजीव सिंह, अदालत से मांगी इच्छामृत्यु
इसी दिन राज्य में शिक्षक नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल कई हस्तक्षेप याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी। इस संबंध में झारखंड सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है।
शिक्षक नियुक्ति से वंचित हो जाएंगे लाखों अभ्यर्थी
प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज और कुशल कुमार ने अदालत को बताया कि वर्ष 2016 में सरकार की ओर से जेटेट परीक्षा ली गई थी। उसके बाद राज्य में टेट का परीक्षा नहीं हुई है। जबकि प्रत्येक वर्ष टेट परीक्षा लिए जाने का प्रविधान है।
ऐसा नहीं होने की वजह से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी राज्य में रहे शिक्षक नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे, जिससे उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। इसलिए केंद्र सरकार द्वारा लिए जाने वाले सीटेट परीक्षा में पास अभ्यर्थी को भी जेटेट की तरह मान्यता देते हुए हुए नियुक्ति में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इसे भी पढ़ेंः Menstrual Hygiene: मासिक धर्म स्वच्छता नीति बनाने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, 31 अगस्त तक का समय
सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि सरकार झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) नियमावली में बदलाव करना चाहती है। इसलिए वर्तमान शिक्षक नियुक्ति में हस्तक्षेप करना उचित नहीं है।
प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने इसका जोरदार विरोध करते हुए एनसीटीई की गाइडलाइन का हवाला दिया गया। कहा गया कि जब सरकार टेट की परीक्षा नहीं करा पाती है, तो सीटेट अथवा राज्य से टेट की परीक्षा पास अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्ति में शामिल किए जाने का प्रविधान है। इस पर अदालत ने सरकार से उनका पक्ष मांगा है।