New Delhi: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि झारखंड के 11 गैर अनुसूचित जिलों (Non-Scheduled Districts) की नियुक्ति पर कोई रोक नहीं है और न ही सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित कोई मामला सुनवाई के लिए लंबित है। ऐसे में राज्य में हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई की जानी चाहिए।
अदालत ने कहा कि प्रार्थी हाई कोर्ट में संशोधित आदेश के लिए याचिका दाखिल करें। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने इस मामले में यह कहते हुए सुनवाई बाद में निर्धारित की है कि इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की अदालत ने अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल एसएलपी को निष्पादित करते हुए कहा कि हाई कोर्ट की वृहद पीठ ने गैर अनुसूचित जिलों में होने वाली नियुक्ति पर कभी रोक नहीं लगाई है। क्योंकि नियोजन नीति के तहत गैर अनुसूचित जिलों में स्थानीयता के आधार पर कोई आरक्षण नहीं दिया गया है।
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इसलिए हाई कोर्ट के वृहद पीठ के पारा 66 में दिए गए आदेश के अनुसार गैर अनुसूचित जिलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं है। इसलिए प्रार्थी हाई कोर्ट के आदेश में संशोधन के लिए वहां पर याचिका दाखिल करें। ताकि इस मामले में सुनवाई की जा सके।
बता दें कि सोनी कुमारी के मामले में हाईकोर्ट की वृहद पीठ ने 13 अनुसूचित जिलों में नियोजन नीति के अनुसार होने वाली शिक्षक नियुक्ति को रद कर दिया था। क्योंकि इन जिलों में स्थानीय लोगों को शत-प्रतिशत आरक्षण दिया गया था, जो कि असंवैधानिक है। इसके खिलाफ इन जिलों में नियुक्त हुए शिक्षकों की ओर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जो अभी लंबित है।
गैर अनुसूचित जिलों में शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि यह मामला सोनी कुमारी केस से प्रभावित है। इसपर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में मामले के निष्पादन के बाद ही याचिका पर सुनवाई करने की तिथि निर्धारित की है। इसी आदेश के खिलाफ सुनील वर्मा व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी।