PMLA के तहत ED की शक्तियों की न्यायिक समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, कहा- सुनवाई से कोई रोक नहीं सकता

सुप्रीम कोर्ट PMLA के तहत ED की शक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका पर इसकी न्यायिक समीक्षा करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की फिलहाल सुनवाई नहीं करने की मांग ठुकरा दी है। केंद्र सरकार का कहना था कि इस मामले में रिव्यू याचिका लंबित है लिहाजा अभी कोर्ट इसे ना सुने।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि PMLA के संशोधित प्रावधानों की जांच राष्ट्रीय हित में हो सकती है। हम सुप्रीम कोर्ट से निर्दिष्ट PMLA के प्रावधानों के तहत प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे।

अब इस मामले में 22 नवंबर को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिव्यू याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने PMLA के कुछ प्रावधानों की समीक्षा को “राष्ट्रीय हित में” एक महीने के लिए स्थगित करने की केंद्र की मांग खारिज कर दी।

PMLA एक्ट पर सुनवाई टालने की मांग ठुकराई

केंद्र सरकार की पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जब तक अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था FATF मनी लॉन्ड्रिंग अपराधों से निपटने के लिए भारत का मूल्यांकन पूरा नहीं कर लेती तब तक इस पर सुनवाई टाल देनी चाहिए। मेहता ने कहा कि कम से कम राष्ट्र हित में कोर्ट एक महीने तक सुनवाई ना हो।

उन्होंने ये भी कहा कि 2022 का फैसला तीन जजों का था जिस पर पुनर्विचार याचिका तीन जजों की पीठ के समक्ष ही लंबित है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली ये पीठ सुनवाई नहीं कर सकती। लेकिन पीठ ने केंद्र सरकार की ये दलील खारिज करते हुए कहा कि हमें इस पर सुनवाई करने से कोई रोक नहीं रोक सकता। सुनवाई के दौरान हम तय करेंगे कि हम सुनवाई कर सकते हैं या नहीं।

पहले की फैसले की समीक्षा करेगी तीन सदस्यीय पीठ

27 जुलाई 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ने जायज बताते हुए अपना फैसला दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम और महाराष्‍ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख समेत 242 याचिकाओं पर फैसला सुनाया था।

फैसला सुनाने वाली पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार थे। उन याचिकाओं में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के कुछ प्रावधानों और ईडी की शक्तियों को चुनौती दी गई थी।

इन याचिकाओं में PMLA के तहत अपराध से हुई आय की तलाशी, गिरफ्तारी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय ( ED) को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई थी। याचिका में दलील ये दी गई थी कि ईडी को ये शक्तियां देने वाले प्रावधान दरअसल आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं।

इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के PMLA संशोधनों के दुरुपयोग को आशंका से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलीलें दी थीं।

ईडी की शक्तियों के खिलाफ दाखिल हैं कई याचिकाएं

इसके अलावा इस कानून के तहत कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना ना देना, ECIR (FIR के समान) कॉपी दिए बिना व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा और अपराध की आय और जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं पर कानून की आलोचना की गई है।

दूसरी ओर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में प्रावधानों का बचाव किया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के 18,000 करोड़ रुपये बैंकों को लौटा दिए गए हैं।

इस पर कार्ति चिंदबरम की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 24 अगस्त 2022 को खुली अदालत में सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। लेकिन उस पर अब तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है। अलबत्ता इस दूसरी याचिका पर सुनवाई शुरू भी हो गई।

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