Supreme Court News

Promotion: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दो व्यक्तियों के बीच शैक्षिक योग्यता का अंतर प्रोन्नति चयन के लिए वैध आधार 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Ranchi: promotion सुप्रीम कोर्ट ने प्रोन्नति में उचित उम्मीदवार के चयन को लेकर एक बेहद अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि समान श्रेणी के दावेदारों का वर्गीकरण करने के लिए शैक्षिक योग्यता एक वैध आधार है। साथ ही ऐसा करने पर संविधान के अनुच्छेद-14 या 16 का उल्लंघन नहीं होता है। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि शैक्षिक योग्यता का उपयोग एक निश्चित श्रेणी के दावेदारों के लिए प्रोन्नति में आरक्षण व्यवस्था शुरू करने के लिए किया जा सकता है या प्रोन्नति को पूरी तरह एक श्रेणी तक सीमित करने में भी इसका उपयोग हो सकता है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वर्गीकरण के मामलों में न्यायिक समीक्षा इस बात के निर्धारण तक सीमित है कि वर्गीकरण उचित है या नहीं और उससे संबंधित है या नहीं, जिसकी मांग की गई थी। अदालत वर्गीकरण के आधार के गणितीय मूल्यांकन में शामिल नहीं हो सकती।

इसे भी पढ़ेंः DISPUTE: दो साल से एक दूसरे का चेहरा नहीं देखना चाहते थे पति-पत्नी, अब वैवाहिक जीवन साथ बिताने की खाई कसमें

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के एक निर्णय को बरकरार रखा है, जिसमें कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के 3 जुलाई, 2012 के एक सर्कुलर को वैध घोषित किया गया था। इस सर्कुलर में डिप्लोमा और डिग्रीधारक सब असिस्टेंट इंजीनियरों (एसएई) के लिए असिस्टेंट इंजीनियर (एई) पद पर प्रोन्नति की अलग-अलग शर्तें तय की गई थीं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मानते हुए कि केएमसी की अतिरिक्त पदों के लिए प्रोन्नति नीति तर्कहीन या मनमानी नहीं है और न ही इसकी मंशा डिप्लोमा धारक एसएई की हानि के लिए नहीं है। पीठ ने कहा कि सार्वजनिक नीति और सार्वजनिक रोजगार के मामलों में, विधायिका या उसके प्रतिनिधि को अलग-अलग पदों पर नियुक्त करने वाले व्यक्तियों की गुणवत्ता तय करने के लिए पर्याप्त मौका देना चाहिए।

न्यायालय को तब तक नीति के मामले में हस्तक्षेप से बचना चाहिए, जब तक ये निर्णय मनमाने नहीं होते। पीठ ने शीर्ष अदालत के पुराने निर्णयों का हवाला देते हुए कहा, सामान्यतया, शैक्षिक योग्यता पदोन्नति के मामलों में एक ही वर्ग के व्यक्तियों के बीच वर्गीकरण के लिए एक वैध आधार है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन नहीं है।

Rate this post

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Devesh Ananad

देवेश आनंद को पत्रकारिता जगत का 15 सालों का अनुभव है। इन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में काम किया है। अब वह इस वेबसाइट से जुड़े हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker