रांची। झारखंड के प्रभारी डीजीपी एमवी राव की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। प्रह्लाद नारायण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि झारखंड में स्थायी डीजीपी रहे कमल नयन चौबे को हटाकर प्रभारी डीजीपी बनाना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि राज्य के डीजीपी की नियुक्ति दो साल के लिए होगी और किसी भी राज्य में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति नहीं होगी।
इस याचिका में यूनियन ऑफ इंडिया, झारखंड के मुख्य सचिव, प्रभारी डीजीपी एमवी राव और यूपीएससी को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि कमल नयन चौबे को स्थायी तरीके से राज्य का डीजीपी बनाया गया था।
लेकिन सिर्फ नौ महीने बाद ही उन्हें हटा दिया गया और उनकी पोस्टिंग बिना काम वाले पुलिस आधुनिकीकरण के कैंप कार्यालय दिल्ली भेज दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें दो साल तक डीजीपी पद पर रहना चाहिए था।
याचिका में यह भी कहा गया है कि राजनीतिक हित के लिए झारखंड सरकार ने एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाया है, जबकि कमल नयन चौबे बेहतर काम कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है, क्योंकि वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि किसी भी राज्य में प्रभारी डीजीपी नहीं हो सकते हैंय़