सिख दंगाः गृह सचिव ने कोर्ट से कहा- पीड़ित परिवारों को दिया जा रहा मुआवजा, केस की जानकारी जुटाई जा रही

झारखंड हाई कोर्ट ने सिख दंगा पीड़ितों के आपराधिक मामलों की प्रगति रिपोर्ट सरकार की ओर से पेश नहीं किए जाने के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान गृह सचिव और डीजीपी अदालत में ऑनलाइन हाजिर हुए।

उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले में पीड़ितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब तक 41 को मुआवजा दे दिया गया है। लंबित केस के मामले में अद्यतन जानकारी जुटाई जा रही है।

इस पर चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने पूरी जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई जनवरी में होगी।

सिख दंगा की याचिका दाखिल करने वाले हटाई सुरक्षा

इस दौरान प्रार्थी की ओर से सतनाम सिंह गंभीर को पूर्व में मिली सुरक्षा को हटाए जाने का मुद्दा उठाया गया। इस पर अदालत ने प्रार्थी को जमशेदपुर एसएसपी के यहां आवेदन देने का निर्देश दिया है। एसएसपी इस पर निर्णय लेंगे।

इस संबंध में सतनाम सिंह गंभीर की जनहित याचिका दाखिल की है। उन्होंने सिख दंगा पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने और लंबित मामले की जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करने का आग्रह किया है।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि सिख दंगा अब तक मुआवजा का भुगतान क्यों नहीं हुआ। मामले में करीब 430 केस दर्ज है, उसकी क्या स्थिति है इसकी जानकारी जानकारी सरकार ने क्यों नहीं दी है।

सरकार ने कहा- चार जिलों में दे रहे मुआवजा

अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने बताया कि रांची, रामगढ़ और पलामू में पीड़ितों को मुआवजा दिया जा रहा है। बोकारो जिला में मुआवजा भुगतान के लिए 1.20 करोड़ की अतिरिक्त राशि स्वीकृत कर ली गई है।

जल्द ही राशि जारी कर दी जाएगी। घटना को लेकर वर्ष 1984-85 में आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है। अब इस संबंध में सभी जगहों से जानकारी जुटाई जा रही है।

पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सिख दंगा पीड़ितों को मुआवजा और आपराधिक मामलों के मामले में जस्टिस डीपी सिंह आयोग की रिपोर्ट पेश करने को कहा था। साथ ही यह पूछा था कि किन किन जिलों में मुआवजा का भुगतान कर दिया गया है।

तीन जिलों में पीड़ितों को दिया गया मुआवजा

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि रांची, रामगढ़ और पलामू में पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। लेकिन सरकार की ओर से अपराधिक मामलों का पूरा ब्योरा पेश नहीं किया जा सका।

इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने गृह सचिव और डीजीपी को हाजिर होने का निर्देश दिया। याचिका में 1984 के दंगों के पीड़ितों को पूरा मुआवजा नहीं मिलने और आपराधिक मामलों के लंबित की जांच कराने का आग्रह किया गया है।

हाई कोर्ट ने जस्टिस डीपी सिंह की अध्यक्षता में आयोग का गठन कर पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। रिपोर्ट की प्रति हाई कोर्ट और राज्य सरकार को सौंप दी गई है।

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