झारखंड हाईकोर्ट ने सड़क किनारे लगने वाली दुकानों को चिन्हित कर उनके लिए स्थान चिन्हित करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डॉ विद्युत रंजन सारंगी और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सोमवार को नेशनल हॉकर्स फेडरेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा नगर निगम को जहां स्थान खाली है उन्हें चिन्हित कर उस स्थान पर सड़क किनारे दुकान लगाने वालों को पुनर्वासित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि यदि रांची नगर निगम इस दिशा में काम नहीं करेगा, तो कोर्ट अपने स्तर से इसका समाधान निकालेगा। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
कोर्ट ने मौखिक कहा कि सिर्फ फुटपाथ और सब्जी विक्रेताओं पर डंडा चलाने से नहीं काम नहीं चलेगा। उन्हें सब्जी बाजार एवं दुकान लगाने के लिए जगह देनी होगी। यह उनकी आजीविका का साधन है। सब्जी विक्रेता ग्रामीण इलाकों से आते हैं और अपने उत्पाद बेचकर चले जाते हैं। ऐसे में उनके उत्पाद के बदले उन्हें समुचित मूल्य मिले इसके लिए नगर निगम को एक जगह निर्धारित करना होगा।
सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से अदालत के बताया गया कि शहर के स्थानों से सड़क किनारे सब्जी बेचने और दुकान लगाने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने निगम के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि बिरसा चौक, हीनू, लालपुर आदि क्षेत्र में सब्जी विक्रेताओं एवं फुटपाथ दुकानदारों को हटाए जाने के बाद भी शाम होते ही फिर से उसी जगह पर वे बाजार लगा देते है। हटिया स्टेशन रोड के निकट एवं सिंहमोड़ के आसपास सब्जी विक्रेता सड़क पर प्रतिदिन बैठते हैं।
कोर्ट ने मौखिक कहा की अटल वेंडर मार्केट बनने के बाद भी मेन रोड में फुटपाथ दुकानदार अपनी दुकान लगा देते हैं, वे अटल मार्केट स्थित अपने दुकान को या तो भाड़े पर लगा देते हैं या उसे खाली रखते हैं और मेन रोड में सड़कों का अतिक्रमण कर वहां बैठ जाते हैं। कोर्ट ने रांची नगर निगम से पूछा कि अटल मार्केट की बजाय में मेन रोड में बैठने वाले कितने दुकानदारों का अटल मार्केट का दुकान का आवंटन रद्द किया गया। कोर्ट ने कहा कि इस जनहित याचिका पर 10 साल से सुनवाई हो रही है। इतने वर्षों में रांची शहर के सब्जी विक्रेताओं और फुटपाथ दुकानदारों को व्यवस्थित नहीं किया जा सका है।