रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य में निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार की अपील पर फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दी है। साथ ही अदालत ने एकल पीठ का आदेश को बरकरार रखा है। पूर्व में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने तीन सप्ताह में निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने को लेकर 4 जनवरी 2024 को आदेश दिया था, जिसे राज्य सरकार ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी थी। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 28 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं सुरक्षित फैसला 12 सितंबर को सुनाया गया।
पूर्व में हाईकोर्ट की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट करने के बाद ही राज्य में निकायों का चुनाव करना है। राज्य के जिलों में ओबीसी की आबादी का आकलन की प्रक्रिया जारी है। पिछड़ा आयोग द्वारा ओबीसी की आबादी का आकलन किया जा रहा है। वहीं प्रतिवादी पूर्व पार्षद रोशनी खलखो की ओर से बताया गया कि सरकार राज्य के निकाय चुनाव को टाल रही है. सरकार चुनाव कराना नहीं चाहती है, एकल पीठ ने भी चुनाव के संबंध में उनके पक्ष में फैसला दिया है।
अपील में क्या कहा है राज्य सरकार ने
अपील (एलपीए) में राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि पिछड़ा आयोग को ही डेडीकेटेड कमीशन के रूप में नियुक्त कर दिया गया है. यह राज्य के जिलों में ओबीसी की आबादी का आकलन करेगी और इस संबंध में डाटा राज्य सरकार को उपलब्ध कराएगी। इसके आधार “पर निकाय चुनाव में वार्डों में ओबीसी के लिए आरक्षण दिया जायेगा. इसलिए निकाय चुनाव पूरा करने के लिए समय दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने एवं एकल पीठ के आदेश को रद्द करने का आग्रह हाई कोर्ट से किया है। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही ठहराया है।
नगर निकायों का चुनाव जल्द का था अनुरोध ः
यहां बता दें कि राज्य में नगर निकायों का चुनाव जल्द कराने को लेकर पूर्व पार्षद रोशनी खलखो सहित अन्य की याचिका को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आनंद सेन की कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि 3 सप्ताह में झारखंड में निकाय चुनाव अधिसूचना जारी करें। इसकी चुनौती राज्य सरकार की ओर दी गई थी। जिसमें राज्य सरकार की हार हुई है।