Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों को हाईकोर्ट से गुरुवार को राहत मिली है। हाईकोर्ट ने विश्वविद्याल के इन कर्मचारियों से अतिरिक्त वेतन वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है और विश्वविद्यालय और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी। पूर्व में भी इस मामले में हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के आदेश पर रोक लगायी थी और प्रार्थियों को विश्वविद्यालय प्रशासन के पास अभ्यावेदन देने और यूनिवर्सिटी को अभ्यावेदन पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही अदालत ने याचिका निष्पादित कर दी थी।
कोर्ट के निर्देश के बाद प्रार्थियों ने विश्वविद्यालय के पास अभ्यावेदन दिया था लेकिन विश्वविद्यालय ने अभ्यावेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद मनोज कुमार एवं अन्य ने हाईकोर्ट ने नयी याचिका दायर की। श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने अपने तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मियों को अत्यधिक वेतन भुगतान वापसी के संबंध में पत्र जारी करते हुए कहा था कि सातवें वेतनमान के तहत विश्वविद्यालय ने उन्हें अधिक वेतन भुगतान कर दिया है, इसलिए उन्हें किए गए अत्यधिक वेतन को वापस करना होगा। कोर्ट को बताया गया था कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने सातवें वेतनमान के तहत कई कर्मियों को 11 – 12 लाख रुपए अधिक का भुगतान किए जाने के संबंध में पत्र निकाला है। उन्हें सप्तम वेतनमान के तहत अधिक भुगतान कर दिया गया है जिसकी वसूली की जाएगी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय का यह आदेश गलत है।
क्या है मामलाः
झारखंड सरकार के वित्त विभाग के अधिसूचना 18 जनवरी 2017 के तहत राज्य के सभी कर्मियों के एक जनवरी 2016 से केंद्रीय सप्तम वेतनमान की सिफारिश के आलोक में लाभ देने का निर्णय लिया गया था। इसके आलोक में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने 25 जनवरी 2023 को अधिसूचना जारी की, जिसके तहत सप्तम वेतनमान का लाभ कर्मियों को 1 जनवरी 2016 से दिए जाने का निर्णय लिया एवं विश्वविद्यालय के सभी बकाया वेतन कर्मियों एवं शिक्षकों को प्रदान किया गया। लेकिन 25 जून 2024 को अचानक विश्वविद्यालय ने अपने तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों के वेतन से करीब 11-12 लाख रुपए की वसूली के लिए पत्र निर्गत किया एवं इस वर्ष जुलाई माह में कर्मियों के वेतन से करीब 22 हजार रुपए की वसूली भी कर ली थी।