Civil Court News

रांची सिविल कोर्ट का eCourt Service फिर ठप, अधिवक्ता-मुवक्किल परेशान

इस बार न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालयों की सर्विस 26 जुलाई से है ठप

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सिविल कोर्ट, रांची का eCourt Service 26 जुलाई से ही ठप है। इस बार न्यायिक दंडाधिकारी की अदालतों की सर्विस पूरी तरह से ठप है। जबकि न्यायायुक्त एवं अपर न्यायायुक्त, मुंशी कोर्ट, फैमिली कोर्ट की सेवा दुरुस्त है। इन न्यायालयों की जानकारी अपडेट मिल रही है। लेकिन जेएम कोर्ट की जानकारी नहीं मिल पा रही है। गुरुवार एक अगस्त को भी इसकी सेवा प्रभावित रही। जिसके कारण वकील एवं मुवक्किल के साथ अन्य लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केस इनफार्मेशन सिस्टम (सीआईएस) से माध्यम से वकील एवं मुवक्किल के साथ कोई भी कहीं से अपने केस की अपडेट जानकारी प्राप्त करते हैं। पिछले दिनों भी 28 जून से लेकर 2 जुलाई, दूसरी बार 11 से 15 जुलाई तक सीआईएस काम नहीं कर रहा था। 5 दिनों बाद दुरुस्त किया गया था।

सीआईएस ठप रहने से अदालत जाकर केस की अगली तारीख समेत अन्य जानकारी लेनी पड़ रही है। किसी कोर्ट में क्या सुनवाई हुई, याचिका की स्थिति क्या, मामले में अगली तारीख कौन सी पड़ी है। समेत कई तरह की जानकारी वकीलों, मुवक्किलों समेत अन्य को नहीं मिल पा रही है।

जिला बार एसोसिएशन लगातार इसको दुरुस्त करने को कह रहा है। ठप होने के पीछे तकनीकी कारण बताया जा रहा है। जिस पर काम जारी है। इधर  रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने गुरुवार को इस संबंध में लगातार न्यायायुक्त को जानकारी दे रहे हैं। CIS के जल्द चालू होने की गुहार लगाई है। पिछले दो-तीन दिनों से अधिवक्ता सबसे अधिक परेशानी झेल रहे हैं। कारण अपने क्लाइंट को केस की अगली तारीख नहीं बता पा रहे हैं।

जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ता मनीष कुमार सिन्हा ने ecourt service के संबंध में बार एसोसिएशन के महासचिव को पत्र लिखा है, जो इस प्रकार हैः

हम अधिवक्ता ecourt service से परेशान हैं । दो दिन ठीक रहता है फिर खराब हो जाता हैं। कैसे अधिवक्ता केस की पैरवी करेंगे।हमलोगो का काम करना मुश्किल हो गया हैं । मुववकील को केस की अगली तारीख कैसे बताये । इसका समुचित उपाय हमेशा के लिए होनी चाहिए। केस की अगली तारीख हम कैसे जाने । अब घूम घूम कर न्यायालय न्यायालय जाकर तिथि लेना मुश्किल हैं । अतः जबतक e court service ठीक नहीं हो जाता। तबतक कोई adverse आर्डर पास न हो ऐसा एक पत्र एसोसिएशन के द्वारा माननीय न्यायुक्त महोदय को दिया जाये ताकि अगर हम किसी केस मे भूलवश पैरवी न कर पाए तो कोई प्रतिकूल आदेश पारित न हो

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