Gwalior: Physical Hearing छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में करीब एक साल बाद नियमित (फिजिकल) सुनवाई शुरू होगी। रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी आदेश के अनुसार छह सितंबर से नियमित सुनवाई की जाएगी। इस दौरान हाई कोर्ट परिसर में कोरोना नियमों का पालन करना होगा। कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हाईकोर्ट में अप्रैल से नियमित कामकाज बंद कर वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई हो रही थी।
संक्रमण के दौरान महाधिवक्ता कार्यालय के साथ हाईकोर्ट के न्यायिक अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए भी हाईकोर्ट में 50 फीसद उपस्थिति अनिवार्य थी। साथ ही उन्हें जरूरत के हिसाब से कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा गया था। कोरोना महामारी के इस दौर में करीब पांच माह तक हाई कोर्ट में वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सुनवाई चल रही थी। कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने नियमित सुनवाई की व्यवस्था शुरू की है।
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इसे देखते हुए हाईकोर्ट के वकीलों ने भी सुप्रीम कोर्ट के साथ ही केंद्र व राज्य शासन द्वारा कार्यालयों को शुरू करने का हवाला देते हुए कोरोना नियमों का पालन करते हुए हाईकोर्ट में नियमित रूप से कामकाज शुरू करने की मांग की थी। उनकी मांगों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा के आदेश पर रजिस्ट्रार जनरल दीपक तिवारी ने नियमित सुनवाई के लिए अधिसूचना जारी कर दी है।
रजिस्ट्रार जनरल दीपक तिवारी ने आदेश में स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट में वही अधिवक्ता व पक्षकार प्रवेश कर सकते हैं, जिनके मामलों की सुनवाई होनी है। इसके लिए अधिवक्ताओं को यह देखना होगा कि उनके प्रकरण काज लिस्ट में सूचीबद्ध है या नहीं। कोर्ट रूम में भी इसी व्यवस्था के तहत ही अधिवक्ताओं को प्रवेश दिया जाएगा। इसी तरह हाईकोर्ट में ऐसे अधिवक्ता व पक्षकारों को जाने की अनुमति दी जाएगी जिन्हें याचिकाएं सहित अन्य दस्तावेज रजिस्ट्री आफिस में प्रस्तुत किया जाना है।
रजिस्ट्रार जनरल ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रकरणों की सुनवाई, दस्तावेज दाखिल सहित अन्य किसी न्यायालयीन कामकाज के दौरान प्रत्येक प्रकरण में सिर्फ दो अधिवक्ताओं को ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि किसी विशेष प्रकरण में वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सुनवाई करने के लिए निर्णय लेने का अधिकार संबंधित बेंच को दिया गया है। यदि किसी विशेष मामलों में अधिवक्ता वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सुनवाई करने के लिए आग्रह करेंगे, तय यह व्यवस्था कोर्ट के विवेक पर निर्भर होगा।