रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण मामला में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की नियोजन नीति को खारिज कर दिया। इस मामले में पलामू की रहने वाली सोनी कुमारी ने याचिका दाखिल की थी। पहले उन्होंने नियुक्ति को चुनौती दी। बाद में सरकार के नियोजन नीति को ही चुनौती देते हुए आइए दाखिल किया। इसपर सुनवाई के दौरान एकल पीठ ने प्रथम दृष्टया नीति को असंवैधानिक मानते हुए इसकी सुनवाई के लिए खंडपीठ को रेफर कर दिया।
सोनी कुमारी के अलावा इस मामले में 314 अभ्यर्थियों ने हस्तक्षेप याचिका दाखिल की। इसके बाद नियुक्ति होने पर अदालत ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि जो कोई अभ्यर्थी इस मामले में प्रतिवादी बनना चाहता है, वो बन सकता है। इसके लिए हाईकोर्ट व जेएसएससी की आधिकारिक वेबसाइट पर नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद कुल 2410 अभ्यर्थी इसमें प्रतिवादी बनाए गए। इस मामले में सोनी कुमारी सहित चार अन्य याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
सोमवार को हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने कहा कि किसी भी हालत में 100 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी के मामले में अपने आदेश में कहा है कि अधिकतम पचास प्रतिशत आरक्षण हो सकता है। इसके आधार हाईकोर्ट ने सरकार की नियोजन नीति को लेकर जारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया। अदालत ने माना कि सरकार की नीति से गैर अधिसूचित जिलों के लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है, क्योंकि वे अपने ही राज्य के दूसरे 13 जिलों में नियुक्ति के लिए आवेदन भी नहीं दे सकते थे।
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