रांची। Jharkhand High Court हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने जमशेदपुर स्थित मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज (Manipal- TATA Medical College, Jamshedpur) में नामांकन को लेकर अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में यूजीसी (UGC) को नोटिस जारी किया है और एनएमसी (NMC) (राष्ट्रीय मेडिकल काउंसिल) और केंद्र सरकार के जवाब मांगा है। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 24 नवंबर की तिथि निर्धारित की है।
सुनवाई के दौरान कॉलेज की ओर से अदालत को बताया कि मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज में 150 सीट पर नामांकन होना है, जिसके लिए 18 से 22 नवंबर को काउंसिलिंग होनी है। लेकिन एनएमसी ने नामांकन की अनुमति के आवेदन को रद कर दिया है। ऐसे में उक्त आदेश पर रोक लगाते हुए नामांकन की अनुमति प्रदान की जाए। अदालत को बताया गया कि कर्नाटक स्थित मणिपाल विश्वविद्यालय देश का उत्कृष्ट एवं स्ववित्तपोषित संस्थान है।
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अगर विश्वविद्यालय अपने स्थापित राज्य से बाहर कोई कॉलेज स्थापित करता है, तो उसपर यूजीसी, एनएमसी या केंद्र सरकार रेगुलेशन लागू नहीं होता है। ऐसे में नामांकन के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। उनकी ओर से गलती से नामांकन के लिए एनएमसी को आवेदन दिया गया था, जिसे एनएमसी ने रद कर दिया है, जो कि गलत है। इसके साथ ही मंत्रालय की वेबसाइट से कॉलेज को हटा दिया गया है।
इस पर एनएमसी की अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मणिपाल विश्वविद्यालय कर्नाटक में स्थापित है और संस्थान की ओर से राज्य से बाहर मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज खोला है। इसलिए नामांकन के लिए संस्थान को एनएमसी, यूजीसी और केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी है। उनकी ओर से इस मामले में अंतरिम राहत नही देने की बात कही गई। साथ ही पूरे मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई।
इसके बाद अदालत ने एनएमसी और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले में यूजीसी को नोटिस जारी किया है। वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज की ओर से अदालत में पक्ष रखा।