रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में नेशनल लॉ विश्वविद्यालय में फंड की कमी के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने विश्वविद्यालय को फंड देने के लिए रास्ता निकालने को कहा है। अदालत ने कहा कि सरकार विश्वविद्यालय के कुलपति, बार काउंलिस सहित अन्य संबद्ध लोगों से बात कर फंड के लिए हल निकालने को कहा। अदालत ने कहा कि यदि सरकार ने कोई ऐसा नियम भी बनाया है कि एक बार फंड देने के बाद दोबारा फंड नहीं दिया जा सकता, तो उसमें बदलाव पर भी विचार किया जाना चाहिए।
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार यदि अपने रुख में बदलाव नहीं लाती है तो विश्वविद्यालय को बंद करने के अलावा कोई और चारा नहीं बचेगा। सुनवाई के दौरान एसोसिएशन की ओर से बताया गया कि लॉ यूनिवर्सिटी को सरकार की ओर से फंड नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में इसके संचालन में बहुत मुश्किल आ रही है। विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि फंड नहीं होने से शिक्षकों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। वहीं, फंड के लिए यूनिवर्सिटी के कुलपति संबंधित विभाग के सचिव और अन्य अधिकारियों से कई बार मिल चुके हैं। लेकिन कहीं से कोई सहायता नहीं मिली है।
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इस दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि विश्वविद्यालय खुलने के समय जो एक्ट बना है। उसमें ऐसा प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार एक मुश्त 50 करोड़ की मदद करेगी। इसके बाद विश्वविद्यालय को खुद अपने खर्च से संचालन करना होगा। सरकार ने एक मुश्त 50 करोड़ का भुगतान कर दिया है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि देश के हर यूनिवर्सिटी को सरकार फंड देती है। कहा कि यह दुखद है कि किसी विश्वविद्यालय के कुलपति फंड के लिए सचिव और दूसरे अधिकारियों से बार- बार मिलें।
सरकार को चाहिए कि इस मामले पर विश्वविद्यालय, बार कौंसिल, केंद्र सरकार और अन्य संबद्ध लोगों से वार्ता कर इसका हल निकाले। अदालत ने कहा कि विश्वविद्यालय की पचास प्रतिशत सीट यहां के छात्रों के लिए आरक्षित है और यह राज्य का एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। इसके लिए सरकार को फंड देना चाहिए।