Mumbai: Maharastra News बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूलों के ऊपर जिम्मेदारी होती है कि वे छात्रों के अंदर उच्च नैतिक मूल्य को पनपने के लिए मदद करें और उन्हें वैसा माहौल प्रदान करें। स्कूल के पास शराब परोसने वाले एक रेस्टोरेंट को दूसरी जगह शिफ्ट करने की याचिका को बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसी आधार पर खारिज कर दिया।
जस्टिस गिरीश कुलकर्णी ने कहा कि याचिकाकर्ता अदालत में जिरह के दौरान अदालत के सामने यह साबित करने में असमर्थ रहे कि उनके स्कूल द्वारा दी जा रही शिक्षा में शराब परोसने वाला रेस्टोरेंट बाधा बन सकता है और बच्चों पर इसका गलत असर हो सकता है।
आदिवासी बच्चों के लिए स्कूल और हॉस्टल संचालित करने वाले तीन सोशल वर्कर्स ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। यह मामला तब शुरू हुआ जब होटल मूनलाइट के मालिक ने पडली बाराव गांव से अपने शराब के ठेके को जुन्नर के शहरी इलाके में दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग की।
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हालांकि साल 2019 में याचिकाकर्ता, स्थानीय लोग, शिरूर के सांसद और विधायक के विरोध के बाद स्थानीय जिलाधिकारी ने इसे मंजूरी नहीं दी। जस्टिस कुलकर्णी ने कहा कि ऐसा लगता है कि अत्यधिक राजनैतिक दबाव में जिलाधिकारी ने यह निर्णय दिया है। शराब के ठेके को जिस दूसरी जगह पर शिफ्ट करने के लिए आवेदन दिया गया था, वहां पास में एक स्कूल भी था। इसी वजह से जिलाधिकारी ने इसे रिजेक्ट किया था।
जांच अधिकारी की रिपोर्ट के बाद जिलाधिकारी ने कहा था कि मार्च 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल का मेन गेट रेस्टोरेंट से 450 मीटर की दूरी पर था। अगस्त 2019 में एक नया गेट पाया गया, जो कंपाउंड की दीवार के उत्तर पश्चिम में 144 मीटर दूर था।
बॉम्बे फॉरेन लिकर नियम के मुताबिक किसी स्कूल या धार्मिक स्थल और शराब के ठेके या दुकान के बीच 75 मीटर की दूरी होनी चाहिए। इस इलाके में एक अन्य होटल ऐसे ही लाइसेंस के साथ कई वर्षों से शुरू है जो 375 मीटर दूर है, जिस पर स्कूल ने विरोध नहीं किया।