8 विधेयक दबाए बैठे हैं गवर्नर, केरल सरकार ने SC में दाखिल की याचिका
केरल में विधेयकों की मंजूरी में देरी के खिलाफ केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। केरल सरकार ने विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल की ओर से की जा रही देरी के पीछे संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग बताया है। इसको लेकर केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
केरल की सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद के खिलाफ देश की सर्वोच्च अदालत में शिकायत की है। कहा है कि वो राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। उनके पास 8 विधेयक लंबित पड़े हैं।
सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल की गई याचिका में केरल सरकार ने राज्यपाल को बिना किसी देरी के लंबित बिलों का निपटान करने का निर्देश दिए जाने की मांग की है। केरल सरकार ने कहा है कि राज्यपाल उनके समक्ष प्रस्तुत विधेयक को उचित समय के भीतर निपटाने के लिए संवैधानिक तौर पर भी बाध्य है।
केरल सरकार का राज्यपाल पर देरी का आरोप
केरल सरकार ने अपनी याचिका मे कहा है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर विचार करने में देरी कर रहे हैं। उनके द्वारा आठ से अधिक पब्लिक बेलफेयर से जुड़े बिल पर विचार करने में अनुचित देरी करके राज्यपाल अपने संवैधानिक कर्तव्यों में विफल रहे हैं।
राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वालों में केरल सरकार अकेली नहीं है, इससे पहले पंजाब की आम आदमी पार्टी और तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार भी अपने राज्यों के राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी हैं।
केरल सरकार का राज्यपाल आरिफ मोहम्मद पर आरोप है कि पिछले दो साल में उनके पास कई विधेयक लंबित पड़े हैं, जिन्हें वो पास नहीं कर रहे हैं। अर्जी में लिखा है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद के पास दो साल से तीन बिल लंबित हैं।
इसके अलावा राज्य विधानसभा से इस साल तीन बिल भी उनके पास गए हैं। इन बिलों को राज्यपाल से अभी तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। सरकार ने मामले में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
राज्यपाल पर लेटलतीफी का आरोप
केरल सरकार का कहना है कि लोक कल्याण के लिए आठ महत्वपूर्ण विधेयकों पर राज्यपाल की लेटलतीफी के चलते उन्होंने सु्प्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया। सरकार ने अदालत से मांग की कि वे इन विधेयकों को पास करने के लिए राज्यपाल को तुरंत निर्देश जारी करें।
अधर में लटकी कल्याणकारी योजनाएं
केरल सरकार ने 1 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की निष्क्रियता से संविधान के नष्ट होने का खतरा है। राज्य सरकार विधेयकों के जरिए केरल की जनता के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाना चाहती है लेकिन, राज्यपाल विधेयकों को मंजूर नहीं कर रहे हैं।
अधिवक्ता सीके ससी के जरिए दायर याचिका में कहा गया है, “राज्यपाल का व्यवहार राज्य के लोगों के अधिकारों का हनन करने वाला है। विधेयकों के माध्यम से सरकार जनता के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना चाहती है लेकिन, राज्यपाल की निष्क्रियता के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है।” याचिका के मुताबिक, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद के पास तीन विधेयक 2 साल से अधिक समय से लंबित हैं। तीन विधेयकों को सालभर होने जा रहा है।
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