Ranchi: Judge Uttam Anand murder case धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में झारखंड हाईकोर्ट के एकबार फिर से सीबीआई जांच पर नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर इतने बड़े मामले का यह हश्र होगा तो यह सिस्टम और हिंदुस्तान के लिए दुखत है। जबकि सीबीआई इस मामले में पहले ही यह कह चुकी है कि जज को जानबूझ कर मारा गया है।
अदालत ने कहा कि निचली अदालत में सीबीआई की ओर से दाखिल की चार्जशीट में हत्या करने की धारा
(302) लगा दी गई है, लेकिन क्या बिना मोटिव के सीबीआई निचली अदालत में इसे साबित कर पाएगी। यह मामले 304 यानी गैर इरातन हत्या या एक्सीडेंट की राह पर चला जाएगा और इसका लाभ आरोपियों को मिलेगा।
अदालत ने कहा कि इस मामले में सीबीआई की अब तक जांच से कोर्ट को निराशा हुई है। सीबीआई भी पुलिस की तरह काम कर रही है। जैसे इस मामले में आरोपियों को जमानत न मिल जाए। इसलिए जल्दबादी में निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दिया जाए। ऐसा काम पुलिस करती है। सीबीआई से ऐसी उम्मीद नहीं है क्योंकि वह प्रोफेशनल जांच एजेंसी है।
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अदालत ने सीबीआई को याद दिलाते हुए कहा कि कोर्ट ने पहले ही आगाह कर दिया था कि जल्द से जल्द इस मामले में सीबीआई षड़यंत्र तक पहुंचे नहीं, तो समय बीतने पर आरोपी अपने बचने का उपाय ढूंढ लेंगे। इसलिए समय काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन सीबीआई की चार्जशीट पूरी उपन्यास की तरह है।
अदालत ने फिर से दोहराते हुए कहा कि कोर्ट ने कहा कि यह मर्डर मिस्ट्री न बन जाए और लेकिन अब यह मर्डर अनएक्सप्लेन की ओर बढ़ रहा है। बिना मोटिव के चार्जशीट दाखिल करना पर यह मामले गैर इरादतन हत्या का मामला बन जाएगा।
अदालत ने कहा कि सीबीआई को जब यह मामला दिया गया था और सीबीआई की टीम धड़ाधड़ जांच से लगा कि कुछ दिनों में सीबीआई की ओर से इस मामले का खुलासा कर दिया जाएगा, लेकिन आज भी हम वहीं पर जहां पहले थे। सीबीआई सिर्फ दो के अलावे कोई नया सुराग नहीं ढूंढ़ पाई है।
बता दें कि धनबाद के जज उत्तम आनंद की उस समय मौत हो गई, जब वे मार्निंग वाक के लिए निकले थे और पीछे से ऑटो वाले ने उन्हें टक्कर मार दी थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सीबीआई जांच की हर सप्ताह समीक्षा करने का निर्देश दिया था। इसके बाद हाई कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है।