रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक अभियंता नियुक्ति में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने के खिलाफ दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया है। जस्टिस एसके द्विवेदी अदालत ने उक्त विज्ञापन को रद करते हुए कहा है कि जब वर्ष 2019 में सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसद आरक्षण देने का निर्णय लिया है तो यह निर्णय उसी साल से लागू होगी ना कि पिछले साल से। इस मामले में अदालत ने पूर्व अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने सहायक अभियंता के लिए निकाले गए विज्ञापन को रद करते हुए इसे दोबारा निकालने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि सरकार संशोधित अधियाचना जेपीएससी को भेजें उसके बाद जेपीएससी नया विज्ञापन जारी करेगी।दरअसल रंजीत कुमार साह ने सहायक अभियंता की नियुक्ति को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दाखिल की थी।
उनका कहना था कि सहायक अभियंता नियुक्ति वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक की है। राज्य सरकार ने 23 फरवरी 2019 को आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया और उसी के अनुसार नियुक्ति के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेजी गई लेकिन इस विज्ञापन में वर्ष 2015 और 19 तक की वैकेंसी भी शामिल है। ऐसे में इस वर्ष में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता क्योंकि कानून वर्ष 2019 में लागू हुआ है।
जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व अधिवक्ता प्रिंस कुमार सिंह का कहना था कि सरकार की अधिसूचना के अनुसार ही जेपीएससी ने विज्ञापन निकाला है और नियुक्ति की जा रही है।
वहीं, सरकार का कहना था कि उन्हें ऐसा करने का अधिकार है। लेकिन अदालत ने सभी दलीलों को नकारते हुए कहा कि वर्ष 2019 में जब कानून को लागू किया गया है तो इसके पिछले वर्षों की वैकेंसी में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। इस मामले में जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सहायक अभियंता विज्ञापन को रद किया जाता है। अब सरकार संशोधित अधियाचना जेपीएससी को भेजें और उसके अनुसार ही जेपीएससी फिर से एडवर्टाइजमेंट जारी करें। बता दें कि मेन एग्जाम के लिए 22 जनवरी से पूरे राज्य में परीक्षा होनी थी। इसके लिए 542 पोस्ट पर नियुक्ति की जा रही है