Ranchi: सहायक अभियंता नियुक्ति (JPSC AE Appointment) में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल एलएसपी (विशेष अनुमति याचिका) को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि झारखंड हाई कोर्ट का आदेश बिल्कुल सही है। इसमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए एसएलपी खारिज की जाती है। दस सितंबर को झारखंड हाई कोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार है, इसलिए एकलपीठ का आदेश निरस्त किया जाता है।
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 21 जनवरी को रंजीत कुमार साह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सहायक अभियंता की नियुक्ति में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने को गलत करार देते हुए नियुक्ति विज्ञापन खारिज कर दिया था।
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अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि जब वर्ष 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का कानून लागू हुआ है तो पहले के रिक्त पदों पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। सहायक अभियंता के लिए 2015 से 2019 तक के रिक्त पदों पर नियुक्ति की जा रही थी।
एकलपीठ के आदेश के खिलाफ जेपीएससी और राज्य सरकार ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा था कि जब भी कोई नया नियम बनता है तो उसे नियुक्ति प्रक्रिया में उसी प्रकार लागू किया जाता है। भले ही वह नियम लागू होने से पूर्व की रिक्तियां हो।
इसके अलावा राज्य सरकार को इसका अधिकार है कि पुरानी रिक्तियों को नई नियुक्ति बनाकर उक्त नियम को लागू कर सकती है। खंडपीठ ने सरकार की दलील को मानते हुए एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ उत्तम कुमार उपाध्याय व अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई थी। जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने पक्ष रखा था।