धनबाद नगर निगम में संविदा पर कार्यरत स्वच्छता पर्यवेक्षक को हटाने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

High Court News: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में धनबाद नगर निगम में संविदा पर काम कर रहे स्वच्छता पर्यवेक्षक को हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के बाद अदालत ने स्वच्छता पर्यवेक्षक हटाने पर रोक लगा दी है। अदालत मामले में राज्य सरकार और धनबाद नगर निगम को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई दस सप्ताह बाद होगी।

जेएसससी ने स्वच्छता पर्यवेक्षक पद पर नियमित नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। जिसमें शैक्षणिक योग्यता की शर्तों में बदलाव किया गया है। इसके खिलाफ प्रार्थी मधुमिता विश्वास सहित 23 ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

स्वच्छता पर्यवेक्षक की नई नियुक्ति को दी है चुनौती

सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओ से अधिवक्ता रुपेश सिंह और अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि धनबाद नगर निगम में संविदा पर स्वच्छता पर्यवेक्षक वर्ष 2015 से काम कर रहे हैं।

लेकिन जेएसएससी ने जुलाई में इन पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। वर्ष 2014 की नियुक्ति नियमावली में इस पद के लिए शैक्षणिक योग्यता इंटर और स्नातक थी।

लेकिन वर्ष 2021 में नियुक्ति नियमावली में संशोधन करते हुए शैक्षणिक योग्यता में स्नातक के साथ पीजी डिप्लोमा इन हेल्थ एंड हाइजिन की योग्यता को जोड़ा गया है। उक्त शर्त स्वच्छता निरीक्षक के लिए भी दी गई है।

निरीक्षक से नीचे के पद में इस तरह की शैक्षणिक योग्यता की शर्त लगाना उचित नहीं है। अदालत को यह भी बताया गया कि पूरे झारखंड में डिप्लोमा इन हेल्थ एंड हाइजिन की पढ़ाई नहीं होती है।

प्रार्थी इतने वर्षों से धनबाद नगर निगम में काम कर रहे हैं। ऐसे में अब उनकी उम्र भी योग्यता प्राप्त करने के लिए अधिक हो चुकी है। इसलिए प्रार्थियों को राहत प्रदान की जाए।

अदालत ने प्रार्थियों की दलील सुनने के बाद उनको हटाने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और धनबाद नगर निगम से जवाब मांगा है। अदालत ने 23 स्वच्छता पर्यवेक्षकों को नहीं याचिका दाखिल की है।

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