विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में संविदा पर लेक्चरर की नियुक्ति पर हाई कोर्ट की रोक

रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय में संविदा पर लेक्चरर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के बाद अदालत ने संविदा पर की जा रही नियुक्ति पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले में सरकार और विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है। मामले अगली सुनवाई अप्रैल में निर्धारित की गई है।

राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में में यह कहते हुए कोल्हान विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय और विनोद बिहारी कोयलांचल विश्वविद्यालय में संविदा पर लेक्चरर की नियुक्ति की थी। क्योंकि रेगुलर नियुक्ति नहीं की जा सकती। हर साल इनका कॉन्ट्रैक्ट का रिन्यूअल होता था।

राज्य सरकार ने चार फरवरी 2021 को विनोबा भावे विश्वविद्यालय में संविदा पर नई नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला। इसमें कहा कि वर्ष 2017-18 में संविदा पर नियुक्त हुए असिस्टेंट प्रोफेसर की अवधि 31 मार्च 2021 को समाप्त हो रही है।

अब इनकी जगह संविदा पर नई नियुक्ति की होगी। नए विज्ञापन में पहले से काम करने वाले लेक्चरर भी आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद सरकार के आदेश को डॉ कुमार प्रियव्रत पांडेय ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

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सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज व अधिवक्ता विकास कुमार ने इस मामले से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड हाई कोर्ट के आदेश की भी जानकारी कोर्ट को दी।

सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में कहा हैं कि संविदा की जगह रेगुलर नियुक्ति होनी चाहिए। अगर विशेष परिस्थितियों में संविदा पर नियुक्ति की जाती है तो दोबारा उसी पद पर संविदा से होने वाली नियुक्ति से भरा नहीं किया जा सकता।

इसके बाद अदालत ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में होने वाली नियुक्ति पर रोक लगा दी है। इससे पहले अदालत ने कोल्हान विश्वविद्यालय में होनी वाली नियुक्ति पर रोक लगाई है। विनोद बिहारी कोयलांचल यूनिवर्सिटी का मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है।

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