झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में राजधानी रांची में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सरकार के द्वारा बनाए गए नियम का उल्लंघन करते हुए कोई अगर ध्वनि प्रदूषण कर रहा है तो उसकी सूचना के लिए राज्य सरकार की ओर से वेबसाइट पर कोई नंबर जारी नहीं किया गया है।
जिस पर अदालत ने सरकार को अपने वेबसाइट पर राज्य के सभी जिलों के नंबर को अपलोड करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार के 50 बेड से अधिक वाले अस्पताल के पास ही साइलेंट जोन घोषित करने के पर प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि अस्पताल में 50 बेड हो या फिर 40 बेड, वह तो अस्पताल ही है।
ध्वनि प्रदूषण से वहां काफी कठिनाई होती है। इसलिए सभी अस्पताल को साइलेंट जोन घोषित किया जाना चाहिए। जिस पर अदालत में राज्य सरकार को सभी अस्पताल को साइलेंट जोन घोषित करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता खुशबू कटारूका ने पक्ष रखा।
सरकारी अस्पतालों के पास ध्वनि प्रदूषण पर रोक
पूर्व में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया गया कि सरकारी अस्पताल और आयुष्मान भारत के तहत आने वाले अस्पतालों के 50 मीटर तक साइलेंट जोन घोषित किया गया है। लाउडस्पीकर और साउंड वालों से जिला प्रशासन ने एक बैठक की है।
इस बैठक में उन्हें ध्वनि प्रदूषण के प्रति जागरूक करने की बात कही गई है। उन्होंने मैरिज हॉल एवं अन्य स्थल जहां पर की साउंड प्रदूषण होता है, उनके प्रतिनिधियों के साथ भी एक बैठक की है।
इस संबंध में झारखंड सिविल सोसाइटी के कोर कमेटी के सदस्य विकास सिंह की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका के माध्यम से अदालत से बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग की है।
याचिका में आरोप लगाया है कि सरकार के द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। सिर्फ कागजी कार्रवाई हो रही है। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण एक समस्या बनते जा रही है। इसके लिए बनाए गए नियम को कड़ाई से लागू करने की मांग की है।
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