नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को अतिरिक्त फंड नहीं देने पर हाईकोर्ट ने कहा- सरकार दिखा रही हठधर्मिता
Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड दिए जाने के मामले में दाखिल राज्य सरकार के शपथ पत्र को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि इस संबंधित सचिव फिर से इस मामले में शपथ पत्र दाखिल करें। दरअसल, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को अतिरिक्त फंड नहीं देने पर राज्य सरकार अभी भी कायम है। सरकार का कहना है कि इस यूनिवर्सिटी को अब अनुदान नहीं दिया ज सकता।
यूनिवर्सिटी स्वपोषित है और इसे अपना खर्च खुद वहन करना होगा। सरकार ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर यह बात दोहरायी। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए शपथपत्र को खारिज कर दिया। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सरकार को नौ सितंबर तक नया शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि सरकार ने पहले भी कहा है कि वह यूनिवर्सिटी को अतिरक्त फंड नहीं देगी, लेकिन कोर्ट ने इसे पहले ही खारिज कर दिया है। बार-बार सरकार यही बात कह रही है। इससे प्रतीत होता है कि सरकार इस मामले में हठधर्मिता दिखा रही है। दूसरे राज्यों में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को नियमित फंड दिया जाता है। इस कारण झारखंड सरकार को भी इस महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए नियमित फंड देना चाहिए।
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सरकार की ओर से दायर शपथपत्र में कई और बिंदुओं को भी उठाया गया था, जिस पर अदालत ने आपत्ति जताई। बाद में महाधिवक्ता ने उन बिंदुओ को वापस ले लिया। सरकार की ओर से बताया गया कि यूनिवर्सिटी खोलते समय ही यह तय हुआ था कि सरकार इसे एक बार 50 करोड़ का अनुदान देगी। इसके बाद सरकार आर्थिक मदद नहीं करेगी। यूनिवर्सिटी को अपना खर्च खुद वहन करेगा।
50 करोड़ देने के बाद फिर इसे 54 करोड़ दिया गया। जिससे यूनिवर्सिटी ने अपने खर्च और बकाया की भरपाई की। सरकार के कैबिनेट ने यह निर्णय लिया है अब अतिरिक्त राशि नहीं दी जाएगी। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि इस यूनिवर्सिटी में झारखंड के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। ऐसे में सरकार को फंड देना चाहिए। कैबिनेट के निर्णय की जानकारी पहले भी शपथपत्र के माध्यम से दी गई थी, जिसे कोर्ट ने पहले ही मंजूर नहीं किया है।
अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार से पूछा है कि उनकी ओर से यूनिवर्सिटी को कितनी धनराशि उपलब्ध काराई गई है। साथ ही यूनिवर्सिटी, बार एसोसिएशन सहित सभी पक्षों से सरकार जवाब पर प्रतिउत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई नौ सितंबर निर्धारित की गई है।